McAfee की नई रिपोर्ट से भारत में ऑनलाइन स्कैम का नया पहलू उजागर हुआ है. पुराने जमाने में आवाज की नकल करके लोग बेवकूफ बनाते थे. मिमिक्री से मनोरंजन की भी पुरानी परम्परा है. अब डिजिटल युग में वॉयस स्कैम के जरिये लोगों की आवाज को नकल करके डिजिटल ठगी का धंधा भारत में जोरों से बढ़ गया है. इस ठगी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानि AI का इस्तेमाल होता है. डिजिटल दुनिया में वॉयस स्कैम के नये संस्करण के 4 पहलुओं को समझने की जरुरत है.
दोस्तों या परिजनों की आवाज में हेर-फेर करने के लिए साइबर अपराधी AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए लोगों की आवाज के Online Data का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें वॉयस क्लोनिंग के तरीके से Scammers लोगों की आवाज की नकल कर लेते हैं. बायोमैट्रिक्स और उंगुलियों की निशान की तरह लोगों की आवाज भी बिल्कुल अलग होती है. इस फर्क को अत्याधुनिक लैब और फॉरेसिंक जांच से ही पकड़ा जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार 69 फीसदी भारतीय वास्तविक और Clone की हुई आवाज के बीच में फर्क को नहीं समझ पाते हैं. इसकी वजह से लोगों को धोखा देकर ठगने में आसानी हो जाती है.
ऑनलाइन डेटा से वॉयस क्लोनिंग के बाद धोखाधड़ी
आवाज की नकल करने के बाद दोस्तों या परिवारजनों के नाम पर धोखेबाज लोग नकली आवाज से ठगीबाजी को अंजाम देते हैं. इसके लिए क्लोन की हुई आवाज को नकली वॉयस मेल या वॉयस नोट के माध्यम से भेजा जाता है. सामान्य तौर पर लूट होने, दुर्घटना होने, पर्स गुम जाने या फिर विदेश यात्रा के दौरान आर्थिक संकट के नाम पर परिवारजनों या फिर दोस्तों को फोन किया जाता है.