सरकार अगले कुछ महीनों में देश के सभी राज्यों में नवजात बच्चे के आधार नामांकन के दायरे का विस्तार करने की योजना बना रही है. जिसके बाद देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नवजात बच्चे का आधार कार्ड (Aadhaar card) उसके जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही मिल जाएगा. वर्तमान में भारत के 16 राज्यों में आधार लिंक्ड जन्म पंजीकरण है जो नवजात शिशुओं के नामांकन की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. इस प्रक्रिया को शुरू हुए एक साल से अधिक हो गए. इस दौरान कई राज्यों में यह सुविधा शुरू की गई. अब सरकार सभी राज्यों में इस सुविधा का विस्तार करने की योजना बना रही है.
आधार नंबर जारी करने वाली सरकारी एजेंसी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बताया है कि शेष राज्यों में भी जन्म प्रमाण पत्र के साथ आधार कार्ड बनाने के लिए काम जारी है. उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में सभी राज्यों में यह सुविधा शुरू हो जाएगी.
जब शिशु क जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, यूआईडीएआई सिस्टम तक एक संदेश पहुंचता है और आधार नामांकन आईडी संख्या उत्पन्न होती है. बाद में बच्चे की फोटो और पते के साथ आधार कार्ड भी जारी किया जाता है. कई मामलों में, आधार को दर्ज करने की जिम्मेदारी केवल जन्म पंजीयक के पास होती है.
बच्चों का नहीं लिया जाता बायोमेट्रिक्स
दरअसल, आधार कार्ड के लिए 5 साल तक के बच्चों का बायोमेट्रिक्स नहीं लिया जाता है. उनके यूआईडी को उनके माता-पिता के यूआईडी से जुड़ी जानकारी और तस्वीर के आधार पर प्रॉसेस किया जाता है. बच्चे के 15 साल का हो जाने पर उसका बायोमेट्रिक अपडेट (दस अंगुलियों, आंखों की पुतली और चेहरे की तस्वीर) किया जाता है.
जारी किए गए हैं 134 करोड़ आधार कार्ड
आधार कार्ड हर नागरिक के लिए जरूर डॉक्यूमेंट है. 1,000 से अधिक राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ आधार कार्ड से पहचान कर दिया जाता है. इनमें से लगभग 650 योजनाएं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाती हैं, जबकि 315 केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती हैं, और ये सभी आधार बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करती हैं.
केंद्र सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जन्म के समय जन्म प्रमाण पत्र के साथ आधार जारी किया जाए. यूआईडीएआई इस संबंध में भारत के महापंजीयक के साथ काम कर रहा है. प्रक्रिया के लिए जन्म पंजीकरण की कम्प्यूटरीकृत प्रणाली की आवश्यकता होती है.