सरकार ने निर्यातकों को राहत देते हुए अब टूटे चावल का निर्यात (Rice Export) 30 सितंबर तक करने की इजाजत दे दी है. 8 सितंबर को सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था और चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया था. निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया था कि प्रतिबंध आदेश से पहले जहाज पर टूटे चावल की लोडिंग शुरू हो गई है, शिपिंग बिल दायर किया जा चुका है या जहाजों ने पहले ही भारतीय बंदरगाहों पर लंगर डाल दिया है, ऐसे मामलों में 15 सितंबर तक निर्यात किया जा सकेगा.
अब इस समय सीमा को 15 सितंबर से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया है. टूटे चावल के निर्यात की समय सीमा बढ़ाने के लिए मंगलवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया. सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए आरबीबी शिप चार्टरिंग लिमिटेड के एमडी और सीईओ राजेश भोजवानी ने कहा कि सरकार के इस कदम से बंदरगाहों पर अटके टूटे चावल के कार्गो को क्लियर करने में मदद मिलेगी.
10 लाख टन चावल अटका
अचानक चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कई कार्गो पिछले एक पखवाड़े से भारतीय बंदरगाहों पर फंसे हैं. भारतीय बंदरगाहों पर कम से कम 20 जहाज करीब 6 लाख टन चावल के लोड होने का इंतजार कर रहे हैं. समय से चावल नहीं लोड हो पाने के कारण ये जहाज नियत समय पर बंदरगाहों को खाली नहीं कर पाए, ऐसे में अब इन्हें मजबूरन विलंब शुल्क देना पड़ रहा है.
द राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बीवी कृष्णा ने बताया कि सरकार के इस कदम से बड़ी मात्रा में चावल कार्गो बंदरगाह पर फंस गए, जो सरकार के निर्यात बैन किए जाने से पहले ही बंदरगाहों के लिए निकल गए थे या बंदरगाहों पर पहुंच गए थे. उन्होंने बताया कि वेसल्स में मौजूद 6 लाख टन चावल के अलावा, बंदरगाहों के वेरयहाउसों और कंटेनर फ्रेट स्टेशंस पर भी करीब 4 लाख टन अतिरिक्त चावल फंसा हुआ है.