प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की सबसे अहम नीति जिसने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है वो है भारत की स्वतंत्र और प्रभावशाली विदेश नीति. एक ऐसी प्रभावशाली नीति जिसने भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए संकट के समय विदेशी देशों के साथ संबंध को बिना किसी कटुता के बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई. भारत किसी भी ग्लोबल पॉवर के दबाव में आए बिना संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य वैश्विक संगठनों में अपनी राय और विचारों को प्रभावशाली रूप से रखने में सफल रहा. फिर चाहे वो यूक्रेन युद्ध हो, अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने का मुद्दा हो या वर्तमान में जारी चीन-ताइवान विवाद रहा हो.
तालिबान ने भी माना मोदी की विदेश नीति का लोहा
15 अगस्त की तारीख भारत और अफगानिस्तान दोनों के लिए ही बेहद खास है. जहां 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता में आने का एक साल पूरा किया, वहीं भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था. इस मौके पर भारत ने अपने टेक्निकल मिशन के हेड को अपग्रेड कर मिड रैंकिंग डिप्लोमेट के स्तर का किया. तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि मिशन को सुरक्षा देने के साथ हम भारतीय मिशन के कार्य का स्वागत करेंगे. 15 अगस्त, 2021 को तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद भारत के राजदूत और उनकी टीम ने काबुल छोड़ दिया था.