अन्य स्रोतों से होने वाली आय (Income from Other Sources – IFOS) इनकम टैक्स एक्ट के तहत आने वाली अलग-अलग 5 तरह की आय में से एक है. बाकी चार आयों की परिभाषाएं पूरी तरह से साफ हैं. और जो आय अन्य चार आयों के तहत नहीं आती है, उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज अथवा दूसरे स्रोतों से होने वाली आय कहा जाता है.
इसके तहत आने वाली आय पर भी आपको अपनी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है, लेकिन इसमें कुछ पेंच हैं, जिन्हें समझ लेना बेहद जरूरी है. इसमें विभिन्न कंपनियों से मिलने वाला लाभांश, ब्याज से होने वाली आय, रॉयल्टी से प्राप्त इनकम इत्यादी शामिल हैं.
किसी कर्मचारी द्वारा अपने इंप्लॉयर से प्राप्त कोई भी उपहार ‘वेतन से आय’ (Income from Salary) के तहत कर योग्य है, जबकि व्यवसाय या पेशे से मिलने वाला कोई भी लाभ/उपहार/अनुलाभ बिजनेस या प्रोफेशन के तहत ‘प्रॉफिट एंड गेन’ के तहत कर योग्य है. इनके अलावा, कोई भी गिफ्ट/एसेट अन्य स्रोतों से होने वाली आय (IFOS) के तहत कर योग्य है.
उपहार के मामले में
यदि किसी करदाता को बिना किसी कंसीडरेशन के कोई मोनेटरी उपहार मिलता है और उसकी कुल उचित बाजार मूल्य (FMV) ₹50,000 से अधिक है, तो पूरी राशि अन्य स्रोतों के रूप में कर योग्य है. यदि करदाता को अपर्याप्त कंसीडरेशन (Inadequate consideration) के साथ कोई मौद्रिक उपहार (Monetary gift) प्राप्त हुआ है और यदि कुल FMV ₹50,000 से अधिक है, तो FMV और असली कंसीडरेशन के बीच का अंतर घोषित किया जाना जरूरी है.
अचल संपत्ति के मामले में, यदि यह बिना कंसीडरेशन के प्राप्त होती है और स्टाम्प शुल्क मूल्य ₹50,000 से अधिक है, तो ऐसी संपत्ति का स्टाम्प शुल्क मूल्य अन्य स्रोतों के रूप में कर योग्य होगा, जबकि यदि ऐसी संपत्ति कंसीडरेशन के लिए मिलती है, जोकि प्रॉपर्टी के स्टाम्प ड्यूटी वेल्यू से अमाउंट 50,000 रुपये से अधिक है तो ऐसी संपत्ति की स्टाम्प ड्यूटी वेल्यू जो कि वास्तविक कंसीडरेशन से अधिक होगी, पर टैक्स चुकाना होगा.
यदि इस तरह के मौद्रिक उपहार या संपत्ति किसी रिश्तेदार (पति या पत्नी, भाई, बहन या पति या पत्नी के भाई, और प्राप्तकर्ता के माता-पिता की बहन, आदि) से, या किसी भी वसीयत या विरासत के तहत प्राप्त होती है, तो कोई कर नहीं होगा.
लाभांश से मिलने वाली इनकम
IFOS के तहत आय का एक अन्य साधन लाभांश है. किसी भी कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को दिया गया डिविडेंड इसके तहत आता है. जो भी व्यक्ति डिविडेंड हासिल करता है, उस पर टैक्स चुकाना उसी की जिम्मेदारी होती है. इसे आय के अन्य स्रोतों में गिना जाता है. व्यक्ति जिस भी टैक्स स्लैब में आता है, उसी के तहत इस डिविडेंड पर भी टैक्स देना होता है.
ब्याज से होने वाली आय
ब्याज से होने वाली आय पर भी आयकर देना होगा है. इनमें कुछ अलग-अलग शर्तें लागू होती हैं. उदाहरण के लिए यदि बैंक अकाउंट में रखे पैसों पर 10,000 रुपये से अधिक की ब्याज मिलती है तो उस पर टैक्स लगेगा, जबकि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है. इसी तरह यदि PF कंट्रीब्यूशन एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक होता है तो टैक्स लगता है. पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर 3,500 रुपये तक पर टैक्स नहीं लगता. ये व्यक्तिगत खाते पर है, यदि जॉइन्ट खाता हो तो फिर 7,000 रुपये तक पर टैक्स नहीं लगता है.