सरकार की कोशिशों ने टमाटर-प्याज की कीमतों को नीचे लाने में बड़ी भूमिका निभाई है. टमाटर के भाव एक महीने के भीतर ही 29 फीसदी कम हो गए, जबकि प्याज के रेट में 9 फीसदी की गिरावट आई है.
उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया कि टमाटर के भाव एक महीने में ही करीब एक तिहाई नीचे आ गए, जबकि प्याज के दाम पिछले साल के मुकाबले 9 फीसदी सस्ते हो गए हैं. मंगलवार को देशभर में टमाटर की औसत कीमत 37.35 रुपये प्रति किलोग्राम रही, जो एक महीने पहले 52.5 रुपये प्रति किलोग्राम थी. कीमतों में यह गिरावट मानसून की बारिश के बाद नई फसल तैयार होने की वजह से आई है.
मंत्रालय ने बताया कि देशभर में प्याज की औसत कीमत मंगलवार को घटकर 25.78 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 9 फीसदी कम है.
प्याज का रिकॉर्ड बफर स्टॉक
मंत्रालय के अनुसार, इस बार प्याज उपभोक्ताओं की आंखों में आंसू नहीं ला पाएगा क्योंकि इसकी कीमतों को थामने के लिए रिकॉर्ड बफर स्टॉक बनाया गया है. इस साल के लिए सरकार ने 2.50 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक तैयार किया है, जो अभी तक का सबसे ज्यादा है. इस बार प्याज की सरकारी खरीद भी रिकॉर्ड स्तर पर की गई, क्योंकि देश में प्याज का बंपर उत्पादन हुआ है.
किसानों को नुकसान से बचाने के लिए बंपर खरीद
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल देश में प्याज का बंपर उत्पादन हुआ, जो रिकॉर्ड 317.03 लाख टन पहुंच गया. ऐसे में मंडियों में प्याज के दाम घटने की आशंका पैदा हुई, जिसका सीधा नुकसान किसानों को होता. ऐसे में सरकार ने रिकॉर्ड खरीद कर किसानों को भी नुकसान से बचाया और बड़ा बफर स्टॉक भी बना लिया. इससे आने वाले समय में प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
अगस्त से दिसंबर तक इस्तेमाल होगा बफर स्टॉक
प्याज के बफर स्टॉक की सबसे ज्यादा जरूरत अगस्त से दिसंबर तक होती है, जब इसकी कोई फसल नहीं तैयार रहती. राज्यों की मांग के अनुरूप केंद्रीय एजेंसियां बफर स्टॉक से प्याज का आवंटन करती हैं. इससे खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों को बढ़ने से रोका जाता है. साथ ही उपभोक्ताओं को भी महंगाई से राहत मिलती है. पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि बफर स्टॉक में प्याज की कमी की वजह से खुदरा बाजार में इसके दाम 150 रुपये किलो से भी ऊपर चले गए थे.