देशभर में आज 16वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए चुनाव हो रहा है. ये चुनाव दिल्ली में लोकसभा और राज्यसभा से लेकर हर राज्य की विधानसभाओं में हो रहा है. ये चुनाव देशभर में सीक्रेट बैलेट वोटिंग से हो रहा है. आखिर क्या होती है बैलेट वोटिंग, क्यों ये चुनाव इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से नहीं होते.
इस चुनाव में जहां 18 जुलाई को वोटिंग हो रही है तो फिर 21 जुलाई को काउंटिंग होगी. इसके लिए सारे बैलेट बॉक्स दिल्ली लाए जाएंगे, जहां इनकी गिनती होगी. ये कैसे लाए जाएंगे और वोटिंग से लेकर काउंटिंग की प्रक्रिया दिल्ली से पूरे देश में किसकी देखरेख में होती है, ये भी हम आपको बताएंगे. वैसे इस चुनाव में इस बार दो ही प्रत्याशी मैदान में हैं. द्रौपदी मुर्मु सत्ताधारी एनडीए की प्रत्याशी हैं तो यशवंत सिंह विपक्ष के साझा उम्मीदवार हैं.
ये चुनाव संसद और दिल्ली समेत 28 राज्यों में एकसाथ चल रहे हैं. आज के दिन हर राज्य और संसद में सभी विधायकों और सांसदों को मौजूद रहने और वोट देने को कहा गया है. इलेक्टोरल कॉलेज के अनुसार 776 सांसद और 4033 विधायक इसमें मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.
कौन होता है रिटर्निंग अफसर
देशभर में इस चुनाव को संचालित करने के लिए बारी बारी से लोकसभा और राज्य सभा के महासचिव को रिटर्निंग अफसर बनाया जाता है. चूंकि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में ये काम लोकसभा के महासचिव ने किया था लिहाजा इस बार राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी इस भूमिका में हैं. 13 जून 2022 को भारतीय चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी करके उन्हें ये दायित्व सौंपा था.
कैसे बैलेट बॉक्स और मतपत्र भेजे जाते हैं
चुनाव आयोग के निर्देशों पर बैलेट बॉक्स और सील मतुपत्रों के पैकेट को हवाई जहाज से अधिकारियों के जरिए हर राज्य की विधानसभा को भेजा जाता है. बैलेट बॉक्स के लिए अलग एक सीट आरक्षित की जाती है.
इन्हें चुनाव से पहले विधानसभा भवनों के स्ट्रांग रूम तक पहुंचाते हैं और फिर इसे सील कर दिया जाता है. सील चुनाव के दिन खुलती है. वहां से बैलेट बॉक्कस और मतपत्र निकाले जाते हैं. इनकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे आर्म्स गार्ड तैनात रहते हैं. सीसीटीवी रिकार्डिंग होती है