अमेरिकी डॉलर (Dollar) और कुछ अन्य पश्चिमी देशों की करेंसी के मुकाबले रुपया कमजोर (Rupee Fall) होने से भले ही भारत की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पर पड़ रहा हो, लेकिन देश के ही राज्य केरल (Kerala) को इससे फायदा हो सकता है. एक्सटपर्ट्स का कहना है डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कमजोर होने से विदेशों में काम कर रहे केरल के लोग ज्यादा धन अपने गृह राज्य भेजेंगे. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था (Kerala Economy) सुधर सकती है. केरल के करीब 34 लाख लोग विदेशों में काम करते हैं. इनमें से 90 फीसदी लोग खाड़ी देशों में रहते हैं.
कोरोना महामारी से पहले भारत में विदेशों से जितना धन आता है, उसका 19% अकेले केरल में आता था. साल 2021 में भारत में विदेश से 87 अरब डॉलर आए थे. वहीं, 2020 में यह आंकड़ा 83 अरब डॉलर था. केंद्र सरकार ने अब अनिवासी भारतीयों को 10 लाख रुपये तक की राशि भारत में रहने वाले अपने रिश्तेदार को बिना सरकार को सूचित किए भेजने की छूट दे दी है. इससे भी देश में विदेश से आने वाले धन में बढ़ोतरी होगी. इसका भी सबसे ज्यादा फायदा केरल को होगा.
बढ़ रहा है केरल का रेमिटेंस
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपये के ऐतिहासिक स्तर तक नीचे जाने के बाद केरल का रेमिटेंस (विदेश से आने वाला धन) एक बार फिर से बढ़ने लगा है. आने वाले महीनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है. Lulu फाइनेंशिनेंयल होल्डिंग्स के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया कि खाड़ी देशों में छुट्टियों का सीजन होने और रुपये में कमजोरी के चलते केरल में भेजे जाने वाले विदेशी धन में बढ़ोतरी हुई है. 12 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.60 के स्तर पर बंद हुआ.
केरल के बैंकों में NRI खातों में पैसा जमा कराने की ग्रोथ धीमी है. इसका कारण यह है कि लोग विदेश से आए धन को बैंकों में रखने से खर्च करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसका एक कारण कम ब्याज दर भी. अगर ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है तो यह ट्रेंड उलट सकता है