जहां एक तरफ अमेरिका और चीन में विकास की रफ्तार धीमी हो रही है वहीं भारत में आर्थिक विकास की गति स्थिर है. ऑर्गनाइजेशन फोर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर (सीएलआई) में यह बात सामने आई है.
सीएलआई के अनुसार, यूके, कनाडा व जर्मनी, फ्रांस, इटली समेत पूरे यूरोपीय क्षेत्र की आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ रही है. मुद्रास्फीति, उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास में कमी और शेयरों में गिरावट इसकी प्रमुख वजहें मानी जा रही हैं. उधर, अमेरिका के लिए ग्रोथ आउटलुक को ‘स्टेबल ग्रोथ’ से घटाकर ‘ग्रोथ लूजिंग मोमेंटम’ कर दिया गया है.
भारत की स्थिति बेहतर
रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था में भारत की आर्थिक विकास की गति स्थिर नजर आ रही है. इसके अलावा चीन और ब्राजील की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कुछ धीमी पड़ गई है. ओईसीडी के अनुसार, कोविड-19 के कारण चीन द्वारा औद्योगिक इकाइयों में लगाए पूर्ण लॉकडाउन ने चीन की अर्थव्यवस्था को अपंग कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में चीन के 5.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान संदेहास्पद है. दूसरी ओर ब्राजील में बढ़ती महंगाई और सख्त होती वित्तीय परिस्थितियों ने आर्थिक भावनाओं और परचेजिंग पावर पर चोट की है. इसके अलावा आगामी राष्ट्रपति चुनाव और अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं क्योंकि 2023 तक ब्राजील में निवेश के कम रहने का अनुमान है. बात करें भारत की तो सीएलआई में देश की आर्थिक वृद्धि की स्थिति स्थिर है लेकिन इसमें पहले से कुछ गिरावट आई है. मार्च में भारत का सीएलआई 100.3 था जो जून में घटकर 100.1 रह गया है.
ओईसीडी ने इससे पहले अपने आर्थिक पूर्वानुमान में कहा था कि भारत ने 2021 में जी-20 में सर्वाधिक तेजी से जीडीपी रिबाउंड (रिकवरी) दर्ज किया था लेकिन उसके बाद से विकास की गति लगातार धीमी हो रही है. ओईसीडी के अनुसार, भारत के लिए मुद्रास्फीति मुसीबत बनी हुई है और इसमें वैश्विक परिस्थितियों के कारण खाद्य पदार्थ व कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का हाथ है.
क्या है सीएलआई
सीएलआई को किसी बिजनेस साइकल के टर्निंग पॉइंट्स की जल्द जानकारी देने के लिए डिजाइन किया गया है. यह ऑर्डर बुक, कॉन्फिडेंस इंडिकेटर, बिल्डिंग परमिट्स व लॉन्ग टर्म इंटरेस्ट रेट्स समेत कई इंडिकेटर्स पर आधारित है.