प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement – ED) ने कुछ क्रिप्टो एक्चेंजेज़ को समन भेजा है. यह समन (Notice) कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज के नियमों के उल्लंघन के लिए जारी किया किया है. इस मसले से जुड़े लोगों का कहना है कि इसी सप्ताह की शुरुआत में कॉइन डीसीएक्स (CoinDCX), वज़ीर एक्स (WazirX), और कॉइनस्विच कुबेर (Coinswitch Kuber) को ये नोटिस गए हैं.
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, एक एक्सचेंज के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा, “एक्सचेंजों को पिछले 2 वर्षों से नियमित रूप से तलब किया जा रहा है. हमसे कस्टमर्स का डेटा और लेन-देन का विवरण मांगा जाता है. और आमतौर पर बाद में डेटा समझाने के लिए कार्यालय में बुलाया जाता है.” ईडी (ED) और फेमा (FEMA) के अलावा, इन एक्सचेंजों के अधिकारियों का कहना है कि कई अन्य एजेंसियां भी अलग-अलग तरह का ब्यौरा जांच रही हैं.
कॉइन डीसीएक्स ने क्या कहा?
CoinDCX के प्रवक्ता ने कहा, “CoinDCX एक कंपनी के रूप में देश के कानून का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और रेगुलेटर्स के साथ हर समय सहयोग करेगी. हमारी समझ के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भारत में प्रमुख एक्सचेंजों को नोटिस भेजकर सूचना और डेटा की मांग की है कि प्लेटफॉर्म कैसे काम करते हैं. आवश्यकतानुसार, हमने विभाग की संतुष्टि के लिए सभी आवश्यक जानकारी साझा की है और हमारी तरफ से कोई ऐसी जानकारी पेंडिंग नहीं है, जो मांगी गई हो.”
कॉइनस्विच कुबेर ने कहा- कई एजेंसियों से आते हैं सवाल
Coinswitch Kuber ने मनीकंट्रोल से कहा, “हमें विभिन्न सरकारी एजेंसियों से सवाल मिलते हैं. हमारा दृष्टिकोण हमेशा पारदर्शिता का रहा है. क्रिप्टो इंडस्ट्री फिलहाल शुरुआती चरण में है, जिसमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं और हम लगातार सभी हितधारकों के साथ जुड़ते हैं.”
WazirX के प्रवक्ता ने कहा, “मामला कर्नाटक उच्च न्यायालय के पास लंबित है, जहां कंपनी और उसके निदेशक ने एक रिट याचिका दायर की और अदालत ने एक अंतरिम आदेश पारित किया. हमने उस आदेश का पालन किया है. मामला विचाराधीन है.”
मुश्किल समय से गुजर रही इंडस्ट्री
गौरतलब है कि ये खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब क्रिप्टो इंडस्ट्री घटती वॉल्यूम, टैक्स और नए TDS के नियम लागू होने से जूझ रही है. क्रिप्टो ट्रांसफर पर टीडीएस लगाने का उद्देश्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से संबंधित सभी लेन-देन का ब्यौरा हासिल करना है. क्रिप्टो पर अब सट्टे से जुड़ी गतिविधियों जैसे जुआ, और लॉटरी से होने वाले लाभ के बराबर टैक्स लगाया जाता है. डिजिटल एसेट्स को हाइएस्ट टैक्स बैंड में डाल दिया जाता है.