एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी (Air Chief Marshal V R Chaudhari) ने रविवार को कहा कि भारत को अस्थिर पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर मौजूद स्थिति को ‘‘दो मोर्चों’’ के तौर पर देखना चाहिए और उसी के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए. भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है, जिसमें सैन्य गतिरोध से लेकर दुष्प्रचार और ब्लैकआउट तक शामिल है. ऐसे में भारत के सुरक्षा सिद्धांत और क्षमताओं को इन आशंकाओं का मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए.”
उन्होंने यह बात चीन और पाकिस्तान के दोहरे सैन्य खतरे से उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों का संदर्भ देते हुए कही. वायुसेना प्रमुख ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, “भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है, जिसमें सैन्य गतिरोध से लेकर दुष्प्रचार और ब्लैकआउट तक शामिल है. ऐसे में भारत के सुरक्षा सिद्धांत और क्षमताओं को इन आशंकाओं का मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए.”
जब उनसे विशेष तौर पर पूछा गया कि क्या यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रमकता चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और अधिक आक्रमक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी तो उन्होंने कहा कि वैश्विक घटनाओं और भूराजनीतिक घटनाक्रमों से भारत-चीन संबंधों पर पड़ने वाले असर का लगातार विस्तृत तौर पर और सभी स्तरों पर आकलन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपने मौजूदा और भविष्य के खतरों की सटीक पहचान करने की जरूरत है, ताकि उनका मुकाबला करने के लिए जरूरी क्षमता का विकास किया जा सके.’’ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के बीच चीन द्वारा एलएसी के पास तेजी से हवाई संसाधन तैनात करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना जरूरत पड़ने पर बहुत सीमित समय में इच्छित कार्रवाई कर सकती है.’’
तेज हो रही भूराजनीतिक उथल-पुथल का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि भविष्य के किसी भी संघर्ष के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी तत्वों को जोड़ने की जरूरत होगी, ताकि ‘‘ऑल ऑफ नेशन एप्रोच’’ अपनाया जा सके.उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर कुछ चुनौतियां मौजूद हैं। ऐसे में यह भारत के लिए अहम है कि वह दो अस्थिर सीमाओं को ‘‘दो आकस्मिक मोर्चों’’ के तौर पर देखे और उसी के अनुसार तैयारी करे.’’
विस्तृत योजना बनाने की जरूरत
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत की सैन्य अभियान योजना, क्षमता विकास और प्रशिक्षण दोनों मोर्चों पर विस्तृत तौर पर उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए होना चाहिए. भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत और पूर्व सेनाध्यक्ष एम एम नरवणे सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकाररियों ने उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे पर समन्वित खतरे को लेकर चिंता जताई थी. लेकिन यह पहली बार है, जब एक सेवारत सशस्त्र बल प्रमुख ने ऐसे खतरों से निपटने के लिए विस्तृत योजना बनाने का आह्वान किया है.
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हम अल्पाकलिक अभियानों से जुड़ी तैयारियों की अहमियत को समझते हैं, जिसके लिए त्वरित योजना बनाने, तेजी से अपने संसाधनों की तैनाती करने और वांछित प्रतिक्रिया देने की जरूरत पड़ेगी.’’