रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने साफ कहा है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का यही सबसे सही समय है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि महंगाई अभी सबसे बड़ी चिंता है और इस पर काबू पाने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी करना जरूरी है.
जून के पहले सप्ताह में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हुई बैठक के मुख्य अंश जारी करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि महंगाई हमारे दायरे से बाहर जा रही है. इसे वापस नीचे लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं था. आरबीआई की ओर से जारी एमपीसी मिनट्स में साफ कहा गया कि ब्याज दरें बढ़ाने का यही सबसे सही समय है. महंगाई पर काबू पाने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने की दोहरी चुनौती भी है. लिहाजा गवर्नर दास का जोर बाजार से तरलता घटाने और ब्याज दरों को ऊपर ले जाने पर रहा.
एक महीने में 0.90 फीसदी बढ़ा रेपो रेट
महंगाई से पार पाने के लिए रिजर्व बैंक कर्ज को महंगा कर रहा है. यही कारण रहा कि 8 जून को एमपीसी बैठक के नतीजों में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी लागू की गई. इससे करीब एक महीने पहले ही गवर्नर दास ने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेपो रेट में 0.40 फीसदी बढ़ोतरी की जानकारी दी थी. यानी महज एक महीने के भीतर ही कर्ज की ब्याज दरें 0.90 फीसदी बढ़ गईं.
महंगाई का अनुमान भी 2.20 फीसदी बढ़ाया
रिजर्व बैंक पर महंगाई को लेकर किस कदर दबाव है, इसका अंदाजा हालिया एमपीसी बैठक के फैसलों से लगाया जा सकता है. आरबीआई ने चालू वित्तवर्ष के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को 2.20 फीसदी बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. उसका मानना है कि तमाम कोशिशों के बावजूद खुदरा महंगाई 6 फीसदी के तय दायरे से नीचे नहीं आएगी. मई में खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसदी रही थी, जो अप्रैल में आठ साल का उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी पर थी. आरबीआई ने चालू वित्तवर्ष के विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है.
सबकुछ महंगाई पर निर्भर
रिजर्व बैंक के फैसले काफी हद तक महंगाई पर निर्भर करेंगे. हमारा अनुमान तीन या चार तिमाही आगे का है और इस बीच खुदरा महंगाई की दर नीचे भी आ सकती है. अगर चालू वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई से राहत मिलती है तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थम भी सकता है. हालांकि, एमपीसी सदस्यों ने यह संकेत भी दिया कि अगस्त की बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर बढ़ाया जा सकता है.
अगर अगस्त की एमपीसी बैठक में रेपो रेट फिर बढ़ता है तो आम आदमी पर कर्ज का बोझ भी बढ़ जाएगा. मौजूदा और नया कर्ज लेने वालों को होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन सहित तमाम तरह के खुदरा लोन पर ज्यादा ईएमआई का भुगतान करना पड़ेगा. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला महंगाई के काबू आने तक जारी रह सकता है.