लंदन में सीवेज के सैंपल से पोलियो वायरस का पता चला है. बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने ये जानकारी दी और बताया कि टीकों से प्राप्त एक प्रकार के पोलियो वायरस का पता चला है. साथ ही यह भी कहा कि इस मामले को लेकर अभी जांच चल रही है. वहीं ब्रिटेन में अलर्ट जारी कर दिया गया है. बता दें कि करीब दो दशक पहले पोलियो की बीमारी को ब्रिटेन से खत्म कर दिया गया था. इसके बाद से इंसानों में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया. WHO ने एक बयान में कहा कि ब्रिटिश राजधानी लंदन में सीवेज के सैंपल में ‘पोलियो वायरस टाइप-2 (VDPV2)’ पाया गया है.
WHO ने बयान जारी कर कहा, ‘यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायरस को केवल पर्यावरणीय सैंपल से अलग किया गया है.’ साथ ही यह जोर देकर कहा कि ‘हाल में लकवा के किसी भी संबंधित मामले का पता नहीं चला है. कहीं भी पोलियो वायरस का कोई भी वैरिएंट हर जगह बच्चों के लिए खतरा साबित हो सकता है.’ बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर पोलियो का सफाया करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया है. 1988 के बाद से मामलों में 99 प्रतिशत की कमी आई है, जब 125 देशों में पोलियो का प्रकोप था और दुनिया भर में 350,000 मामले दर्ज किए गए थे.
साल 2003 में पोलियो मुक्त हुआ ब्रिटेन
पोलियो वायरस का खतरनाक संस्करण अब केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मौजूद है. बता दें कि साल 2003 में ब्रिटेन को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया था. उसके बाद से अब तक यहां कोई नया मामला सामने नहीं आया है. हालांकि पोलियो सहित अन्य खतरनाक बीमारियों पर लंबे समय से नजर रखा जा रहा है. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसी क्रम में फरवरी और मई महीने में सीवेज के गंदे पानी के सैंपल लिए थे. जांच के दौरान वायरस का पता चला है.
जिनका टीकाकरण नहीं, उनको वायरस पहुंचा सकता है नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) आंत में रेप्लिकेट बनाता है और मल-दूषित पानी के माध्यम से दूसरों के अंदर आसानी से ट्रांसफर हो सकता है. इसका मतलब यह है कि यह वायरस उस बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, जिसका टीकाकरण हो चुका है, लेकिन उन जगहों पर इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है, जहां गंदगी हो और टीकाकरण की संख्या कम हो.
लंदन में 87 प्रतिशत टीकाकरण
पोलियो उन्मूलन विशेषज्ञ कैथलीन ओ’रेली ने बुधवार को चेतावनी दी कि लंदन के सीवेज नमूनों में खोज से पता चलता है कि ‘पोलियो वायरस का स्थानीय प्रसार हो सकता है, सबसे अधिक संभावना उन व्यक्तियों के भीतर है, जिन्होंने पोलियो का टीकाकरण नहीं कराया है.’ WHO ने कहा, ‘इस वायरस के आगे प्रसार को रोकने के लिए सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण इतिहास की जांच करना है, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि लंदन में पोलियो टीकाकरण कवरेज लगभग 87 प्रतिशत है.’