जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह से 15,000 करोड़ रूपये का ऋण के लिए समझौता किया है. वित्तीय विशेषज्ञ इसे एक बड़ा कार्पोरेट ऋण समझौता बता रहे हैं.
नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि जिंदल स्टील ओडिशा लिमिटेड कंपनी, नवीन जिंदल द्वारा प्रवर्तित जेएसपीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई, दीर्घकालिक ऋण उठा रही है. ऋण इसे आंशिक रूप से वित्तपोषित करने में मदद करेगा. ओडिशा के अंगुल में 22,500 करोड़ रुपये की क्षमता वाले प्लांट का निर्माण होने से इस लोन की आवश्यकता पड़ी है. बाकी रकम कंपनी इक्विटी के तौर पर हासिल करेगी. जेएसपीएल ऋण के लिए कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान करेगा. भारतीय स्टेट बैंक के साथ ऋण सुविधा समझौते पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं, जेएसपीएल के प्रवक्ता ने एक ईमेल में पुष्टि की.
जानते चलें कि जिंदल स्टील प्राइवेट लिमिटेड कंपनी स्टील, बिजली, खनन और बुनियादी ढांचे में रुचि रखने वाले भारत के सबसे बड़े इस्पात निर्माताओं में से एक है. सूत्र ने बताया कि एसबीआई जोकि प्रमुख ऋणदाता है, पहले ही पूरे ऋण को कम कर चुका है और अब इसे अन्य उधारदाताओं को बेचने की प्रक्रिया में है. उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ सबसे बड़े ऋणदाताओं सहित कई बैंकों ने इसमें रुचि दिखाई है और ऋण प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं.
जेएसपीएल का कर्ज अदाणी समूह को हाल ही में दिए गए कर्ज से भी बड़ा होगा. गुजरे अप्रैल माह में सूचना दी थी कि एसबीआई को उधार देने की अनुमति है. अदानी एंटरप्राइजेज की शाखा नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट को 12,770 करोड़ में खरीदा गया है. इसके लिए भी बैंकों से लोन लिया गया था. बैंकों का पांच ऋणदाताओं का एक समूह संयुक्त रूप से अधिकांश ऋण लेने को तैयार है लेकिन रिजर्व बैंक इस मामले में फूंक फूंककर कदम रख रहा है.
दरअसल प्रस्तावित ऋण को CareEdge रेटिंग्स द्वारा A+ का दर्जा दिया गया है, जिसका मानना है कि परियोजना का JSPL के लिए उच्च रणनीतिक महत्व और आर्थिक प्रोत्साहन है, जिसमें समेकित तरल इस्पात क्षमता 9.6 मिलियन टन प्रति वर्ष (mtpa) से बढ़ाकर FY25 तक 15.6 mtpa हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक जेएसपीएल को 15 हजार करोड़ का ऋण देने के लिए एसबीआई स्वतंत्र है लेकिन रिजर्व बैंक से अनुमति मिलने में देरी हो रही है. दरअसल रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनी इतना बड़ा ऋण कैसे चुकाएगी क्योंकि रिलायंस और दूसरी अन्य कंपनियों का अरबों रूपये डूबत में पड़ा हुआ है. कुछ तो दिवालिया हो चुकी हैं.
हालांकि केन्द्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022 में कॉरपोरेट्स को बैंक ऋण देने की राह आसान की थी ताकि लंबित परियोजनाओं को पूरा किया जा सके. कार्पोरेट ऋण वृद्धि गुजरे आठ साला में उच्च स्तर पर पहुंच गया है. इस बीच, JSPL ने मार्च तिमाही में कमजोर संख्या की सूचना दी, जिसमें स्टैंडअलोन का शुद्ध लाभ 65% गिरा है जो 1,198 करोड़ के आसपास होता है.
दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में निराशाजनक बाजार स्थितियों और रिकॉर्ड-उच्च मुद्रास्फीति के कारण वैश्विक इस्पात बाजार डाउनफाल में था. भारत द्वारा निर्यात शुल्क लगाने से भारतीय मिलों से कम आपूर्ति की प्रत्याशा में पहले से ही कमजोर मांग को और अधिक अस्थिर कर दिया गया है.