वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का राजकोषीय घाटा 6.7 फीसदी रहा है. यह संशोधित अनुसान से कम है. मंगलवार को सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. संशोधित बजट अनुमान में 6.9 फीसदी के मुकाबले राजकोषीय घाटा 6.7 फीसदी रहा गया है. पिछले साल के बजट में, सरकार ने शुरू में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8% पर आंका था.
बजट के अनुसार, राजकोषीय घाटे को संशोधित कर 15.91 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था. हालिया आंकड़ों के मुताबिक, राजकोषीय घाटा 15.87 लाख करोड़ रुपये से 4,552 करोड़ रुपये कम है. बीते फरवरी माह के बजट में सरकार ने घाटे के अनुमान को संशोधित कर जीडीपी का 6.9 प्रतिशत या 15,91,089 करोड़ रुपये कर दिया था.
टैक्स कट से 1 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार
सरकार ने हाल ही में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की है. इससे सरकारी खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. इस फैसले का असर राजकोषीय घाटे पर पड़ने की पूरी संभावना है. कहा जा रहा है कि ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटने से देश के राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ सकता है.
सरकार ने आज जीडीपी ग्रोथ के भी आंकड़े जारी कर दिए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी -मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट काफी कम रही है. इस तिमाही विकास दर 4.1 फीसदी रही. वहीं पूरे वित्तीय वर्ष में जीडीपी की विकास दर 8.7 फीसदी रही है. मार्च में युद्ध और कोरोना ने ग्रोथ रेट को काफी नुकसान पहुंचाया है. वहीं मुद्रास्फीति विकास दर के लिए एक बड़ी बाधा बनकर सामने आई है.