मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में विनिवेश के जरिए 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. मगर सरकार की विनिवेश योजना को तगड़ा झटका लगा है. रणनीतिक विनिवेश के जरिए सरकार तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती थी लेकिन कोई सक्षम खरीदार नहीं मिला.
खरीदार के अभाव में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) की बिक्री की बोली प्रक्रिया रद्द कर दी है. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट यानी दीपम (DIPAM) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर यह जानकारी दी है.
इच्छुक खरीदार बोली से पीछे हटे
दीपम ने अपनी नोटिफिकेशन में बताया है कि अधिकांश योग्य इच्छुक पार्टियों (क्यूआईपी) ने वैश्विक ऊर्जा बाजार की मौजूदा परिस्थितियों की वजह से बोली प्रक्रिया को जारी रखने में असमर्थता जताई है. वैश्विक और घरेलू स्थिति की नए सिरे से समीक्षा के बाद भारत पेट्रोलियम के विनिवेश को लेकर दोबारा फैसला किया जाएगा. इस तेल मार्केटिंग कंपनी में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है. सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी रणनीतिक विनिवेश के जरिये बेचना चाहती है. दूसरे शब्दों में कहें तो सरकार इस कंपनी का निजीकरण करना चाहती है.
तीन कंपनियों से मिली थी बोली
इसके लिए मार्च 2020 में इच्छुक कंपनियों से रुचि पत्र (Expression of Interest) मांगे गए थे. कोरोना की वजह से रुचि पत्र जमा करने की अंतिम तारीख कई बार बढ़ाई गई. नवंबर 2020 तक सरकार को तीन कंपनियों वेदांता समूह, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट इंक और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल एडवाइजर्स से बोलियां मिली थी. सूत्रों के मुताबिक, वेदांता समूह भारत पेट्रोलियम के अधिग्रहण पर करीब 12 अरब डॉलर खर्च करने को तैयार था. जबकि अन्य कंपनियों ने ग्लोबल स्तर पर तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और घरेलू ईंधन मूल्य निर्धारण पर अनिश्चितता की वजह से इससे दूरी बना ली. सिंगल बिडर की वजह से सरकार को बिक्री प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी