भारतीय शेयर बाजार फिलहाल काफी ज्यादा वोलाटाइल है. कभी ऊपर तो कभी नीचे. किसी भी निवेशक को इसका ट्रेंड समझने में परेशानी हो सकती है. निवेशकों को परेशानी यहीं खत्म नहीं होती. आम तौर पर ज्यों-ज्यों भारतीय करेंसी (रुपया) डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, आईटी कंपनियों के शेयर अच्छा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इस बार यहां भी उलटा ही हो रहा है.
पिछले दिनों भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो (Low) लगा दिया था. अगर हम बात करें पिछले एक सप्ताह की तो आईटी के दिग्गज स्टॉक अभी भी दवाब में चल रहे हैं. पिछले हफ्ते टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, माइंडट्री, बिरलासॉफ्ट समेत कई बड़ी आईटी कंपनियों में 2 फीसदी से लेकर 5 फीसदी तक की गिरावट देखी गई.
एक्सपर्ट ने बताई ये वजह
इस बारे में शेयर इंडिया के रिसर्च हेड और वाइस प्रेसीडेंट रवि सिंह ने लाइव मिंट को बताया कि सप्लाई का दबाव और कार्यान्वयन (Implementation) में गिरावट के चलते मार्जिन में कमी आने की वजह से आईटी स्टॉक प्रेशर में हैं. मैनपावर पर बढ़ते खर्च, हाई एट्रीशन रेट के चलते मार्जिन में गिरावट इत्यादी की वजह से रेवेन्यू ग्रोथ के मुकाबले प्रॉफिट में ग्रोथ की गति में कमी आई है. आईटी सेक्टर की गिरावट की एक अन्य वजह है अमेरिकी फेड द्वारा अपनी मॉनिटरी पॉलिसी को कड़ा करना, जिसकी वजह से अमेरिकी इंडाइसिस पर प्रेशर आया और FIIs ने भारतीय बाजार से पैसा निकाला.
अभी और गिरने की आशंका
प्रॉफिशिएंट इक्विटीज़ के फाउंडर और डायरेक्टर मनोज डालमिया ने बताया कि आईटी इंडेक्स अभी और गिर सकता है. उन्होंने बताया, आईटी स्टॉक्स में आ रही गिरावट के तीन मुख्य कारण हैं. पहला कमजोर मार्जिन और अर्निंग रिपोर्ट, दूसरा कर्मचारियों की हायरिंग और उन्हें रिटेने करने की ऊंची लागत, और तीसरा पिछले 10 सालों के मुकाबले आईटी स्टॉक्स की P/E रेश्यो हाई है (पहले ये 18 पर थी और अब 28 है), जोकि कंपनियों की ऊंची वैल्यूएशन की तरफ इशारा करती है. लगता है कि आईटी इंडेक्स 27,500 के स्तर तक आ सकता है. लम्बे समय के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को इस स्तर से आईटी स्टॉक्स को खरीदना शुरू कर देना चाहिए.