Home राष्ट्रीय राजद्रोह कानून : हैरान करने वाले हैं NCRB के आंकड़े, 6 सालों...

राजद्रोह कानून : हैरान करने वाले हैं NCRB के आंकड़े, 6 सालों में 356 मामले हुए दर्ज, 12 पर ही साबित हो पाया अपराध

33
0

देश में इन दिनों राजद्रोह कानून चर्चा में बना हुआ है. कुछ दिन पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने इस कानून को खत्म करने की बात कही थी. उन्होंने इस मुद्दे पर राज्यसभा में बहस कराने की मांग की थी. पवार ने कहा था कि इस कानून का इस्तेमाल लोगों की लोकतांत्रिक तरीके से उठाई गई आवाज को दबाने के लिए किया जाता है. अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस कानून को खत्म करने की मांग अक्सर उठती रही है. वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून की समीक्षा के लिए हलफनामा भी दायर किया है. इस कानून के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं.

एनसीआरबी के आंकड़ों को जानने से पहले, हम यह जान लें कि आखिर राजद्रोह का कानून है क्या? भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा या किसी और तरह से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वह राजद्रोह का आरोपी है. राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. इसमें सज़ा तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना है.

चौंकाने वाले हैं आंकड़े
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2020 के दौरान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए के तहत 356 राजद्रोह के मामले दर्ज हुए, जिसमें करीब 548 लोगों को हिरासत में लिया गया. हालांकि पिछले 6 सालों में 12 गिरफ्तार लोगों पर अपराध साबित भी हुआ.

2017 में सबसे ज्यादा मामले हुए दर्ज
अगर साल के हिसाब से आंकड़ों को समझें तो राजद्रोह कानून के तहत 2020 में कुल 44 लोगों को हिरासत में लिया गया. वहीं 2019 में यह आंकड़ा 99, 2018 में 56 था, इनकी तुलना में 2017 में सबसे ज्यादा कुल 228 जबकि 2016 में 48 और 2015 में 73 लोगों को हिरासत में लिया गया.

आईपीसी की धारा 124 ए के देश भर में 2020 में 73 मामले दर्ज हुए. वहीं 2019 में इसकी संख्या 93, 2018 में 70, 2017 में 51, 2016 में 35 और 2015 में 30 मामले दर्ज हुए. इस तरह से अगर आरोप सिद्ध होने पर नजर डालें तो जहां 2020 में 33.3 फीसद आरोप सिद्ध हुए वहीं 2019 में यह आंकड़ा 3.3 फीसद, 2018 में 15.4 फीसद, 2017 में 16.7 फीसद और 2016 में कुल 33.3 फीसद लोगों पर आरोप साबित हुआ.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here