छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग द्वारा मृतक किशोर निखिल यादव (शासकीय बाल संप्रेक्षण गृह, बिलासपुर) के प्रकरण में 2.00.000 (अक्षरी दो लाख) रूपये क्षतिपूर्ति प्रदान किये जाने की अनुशंसा|
रायपुर, दिनांक 4.3.2022, शासकीय बाल संप्रेक्षण गृह, बिलासपुर में किशोर निखिल यादव के आत्महत्या प्रकरण में जाँच उपरांत, पीठासीन अधिकारी कार्यवाहक अध्यक्ष श्री गिरिधारी नायक एवं सदस्य श्री नीलम चंद सांखला द्वारा, मृतक के माता-पिता को 2.00.000 (अक्षरी दो लाख) रूपये क्षतिपूर्ति प्रदान किये जाने की अनुशंसा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से, की गई है|
ज्ञात हो, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला बिलासपुर से दिनांक 27.07.19 को इस आशय की सूचना प्राप्त हुई है कि शासकीय बाल संप्रेक्षण गृह में निरूद्ध बालक निखिल यादव, पिता श्री संतोष यादव, उम्र 16 वर्ष द्वारा दिनांक 26.07.19 को प्रातः फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई है। प्रकरण के संज्ञान में आते ही आयोग द्वारा प्रकरण क्रमांक 318/33/2/2019 पंजीबद्ध किया गया एवं किशोर मृतक निखिल यादव की मृत्यु की सूचना पर पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर से शव परीक्षण रिपोर्ट सह मजिस्ट्रियल जाँच प्रतिवेदन एवं कलेक्टर बिलासपुर से दण्डाधिकारी जांच प्रतिवेदन आहूत की गई। जाँच प्रतिवेदन में प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, जांच अधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट श्री ए.आर. टंडन को श्री जलकिशोर कुर्रे, संप्रेक्षण गृह बिलासपुर ने अपने कथन में इस आशय को बताया है कि दिनांक 26.08.19 को रात्रि 8 बजे लड़के को पुलिस द्वारा सेंट्रल जेल से लाया गया था, उसे गार्ड द्वारा फोन करके संप्रेक्षण गृह बुलाया गया, तब उसने पुलिस वालों से वारंट लिया और रजिस्टर में दर्ज किया। लड़के की फोटो खींचा, फिर खाने के बारे में पूछा गया, गार्ड ने कमरे तक पहुंचाया। उन्हें दिनांक 27.08.19 को प्रातः 6.10 बजे मरावी गार्ड द्वारा सूचना मिली कि एक लड़का फांसी लगा लिया है। आयोग द्वारा सम्पूर्ण प्रकरण की जाँच की गई तथा यह भी उल्लेखनीय है कि किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) आदर्श नियम 2016, के नियम 69 के, 1-च, 2-छ, में बालकों के अभिरक्षा में प्राप्त होने के पश्चात अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का उल्लेख है|
प्रकरण में प्राप्त, अभिलेखों में संलग्न साक्ष्य के परिपेक्ष्य में मृतक किशोर निखिल यादव को दिनांक 19.07.19 को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया एवं केन्द्रीय जेल बिलासपुर में न्यायिक अभिरक्षा में सौंपा गया। बालक के उम्र जांच में अन्वेषणकर्ता अधिकारी द्वारा सात दिवस की अवधि व्यतीत करते हुये दिनांक 26.07.19 को माननीय न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश से बाल संप्रेक्षण गृह में सौंपा गया। अन्वेषण अधिकारी की उक्त जांच में तत्परता न बरतना मानव अधिकार उल्लघंन का प्रत्यक्ष उदाहरण है। बाल संप्रेक्षण गृह, बिलासपुर के संबंधित कर्मियों के द्वारा, उक्त प्रकरण में लापरवाही एवं उपेक्षापूर्ण कृत्य से, किशोर के द्वारा आत्महत्या जैसे जघन्य कृत्य से अपना जीवन समाप्त किया गया है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता, आयोग ने माना कि यह कहना उचित होगा कि मृतक किशेार निखिल यादव के अभिरक्षा में, किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं सरंक्षण आदर्श नियम 2016) के नियमों की अनदेखी की गई है, अत: आयोग द्वारा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन को अनुशंसा की गई कि, मृतक किशोर निखिल यादव के माता पिता को 2,00,000=00 (अक्षरी दो लाख रूपये ) रूपये क्षतिपूर्ति प्रदान की जावे। छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित समस्त बाल संप्रेक्षण गृह में ड्यूटीरत अधीक्षक, हाउस फादर एवं अन्य कर्मचारियों को नियमित रूप से बालकों की सुरक्षा संरक्षा हेतु किशोर न्याय बालकों की देखरेख अधिनियम 2015 एवं आदर्श नियम 2016 से संबंधित प्रावधानों का निश्चित अंतराल में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जावे। यह भी अनुशंसा की गई है कि राज्य के प्रत्येक बाल संप्रेक्षण गृह में यह सुनिश्चित किया जावे कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो।