नई दिल्ली, मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ है, भारतीय जनता पार्टी इस वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी मना रही है, योगी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था, इसी तारतम्य में मुग़ल सराय रेलवे स्टेशन का नाम भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम रखे जाने का प्रस्ताव यू.पी की योगी सरकार ने फैसले के लिए केंद्र सरकार को भेजा था, सरकारी नियमों के मुताबिक किसी स्टेशन, गांव, शहर का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को गृहमंत्रालय से एन.ओ.सी लेना जरूरी होता है, ज्ञात हो कि दीनदयाल उपाध्याय का शव सन 1968 में संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था, पुलिस इनके शव को लावारिस मानकर चल रही थी, तभी स्टेशन पर कार्यरत कुछ रेलकर्मियों को शक हुआ कि ये पंडित दीनदयाल का शव है, इसके बाद सर संघ चालक गोलवरकर और अटल बिहारी वाजपेयी मुगलसराय आए और दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि मुगलसराय लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है, इसलिए इसका नाम उन पर होना चाहिए। मुगलसराय जंक्शन भारत के सर्वाधिक व्यस्त रेलवे स्टेशनों में एक है, यह जंक्शन देश को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ता है, मुगलसराय में रेलवे का एशिया का सबसे बड़ा यार्ड है और इसी जंक्शन से ग्रैंड कार्ड रेल लाइन भी शुरू होती है, जो गया-धनबाद होते हुए हावड़ा के लिए जाती है।