राजस्थान के शिक्षा विभाग का नया स्टाफिंग पैटर्न (Staffing Pattern) आज जारी हो गया है. शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने शिक्षा संकुल में पैटर्न की घोषणा की. पैटर्न की सबसे बड़ी बात यह रही कि इससे शिक्षा महकमे में 10 हजार नये पद सृजित (Post created) हुए हैं. इससे शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा. शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने पैटर्न जारी करते हुये कहा कि इस बार के स्टाफिंग पैटर्न के सुखद नतीजे रहे हैं. प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आठ लाख छात्रों का नामांकन बढ़ा है. 5 लाख छात्र छात्राओं का नामांकन प्रारंभिक शिक्षा में जुड़ा है. कल्ला ने कहा कि नये स्टाफिंग पैटर्न में 10 हजार नए पद सृजित हुए हैं.
शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला ने कहा कि स्टाफिंग पैटर्न से बड़ी तादाद में पदों का इजाफा हुआ है. इनमें 124 वरिष्ठ अध्यापक, 7663 लेवल 1 व 2 और 2232 शारीरिक शिक्षक के पद सृजित हुए हैं. बीडी कल्ला ने कहा कि जिलेवार पदों में बढ़ोतरी हुई है. डॉ. कल्ला ने स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्र और मजबूत करने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि हर स्कूल में मैनेजमेंट कमेटियों को सुदृढ़ बनाएंगे. एलुमनाई का सहयोग लेंगे. हर स्कूल का मास्टर प्लान बनेगा ताकि राजस्थान शिक्षा में देश का सिरमौर बना रहे.
स्टाफिंग पैटर्न की खास बातें
– सरकारी स्कूलों में 0 से 60 नामांकन तक 2 अध्यापक होंगे.
– लेवल वन में 61 से 90 छात्र होने पर स्कूलों में 3 अध्यापक होंगे.
– लेवल वन में 91 से 120 छात्रों पर 4 अध्यापक होंगे.
– लेवल वन में 121 से 200 के नामांकन पर 5 अध्यापक होंगे.
– लेवल वन में 150 से अधिक नामांकन पर एक हेड मास्टर की नियुक्ति की जायेगी.
– 200 से अधिक स्टूडेंट्स का नामांकन होने पर प्रत्येक 40 छात्र पर एक अतिरिक्त लेवल वन अध्यापक की पोस्टिंग की जायेगी.
तृतीय भाषा के 10 विद्यार्थी हुये तो उसका एक टीचर लगेगा
डॉ. कल्ला ने दावा किया कि यदि किसी स्कूल में तृतीय भाषा के 10 विद्यार्थी होंगे तो वहां पर एक टीचर की नियुक्ति होगी. पंजाबी, गुजराती, संस्कृत और सिंधी जैसी भाषा पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को शिक्षकों की कमी महसूस नही होने दी जायेगी. डॉ. कल्ला ने दावा किया कि प्रदेश में नये स्टाफिंग पैटर्न से शिक्षकों की कमी दूर की जा सकेगी.
महात्मा गांधी स्कूलों से शैक्षिक क्रांति आई
डॉ. कल्ला ने कहा कि महात्मा गांधी स्कूलों के जरिये गहलोत सरकार की ओर से शिक्षा में किये गये नवाचारों से प्रदेश में शैक्षिक क्रांति आई है. लोग मिशनरी और कॉनवेंट स्कूलों को भूल अब सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. मंत्रियों तक के पास सिफारिश के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. जाहिर है सरकार के काम पर जनता ने मुहर लगाई है.