Home राष्ट्रीय ब्लैक होल क्यों हैं ब्रह्माण्ड की सबसे डरावनी चीज..

ब्लैक होल क्यों हैं ब्रह्माण्ड की सबसे डरावनी चीज..

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ब्लैक होल (Black Hole) वैसे तो ब्रह्माण्ड (Universe) की सबसे रहस्यमयी पिंड माना जाता है, लेकिन यह सबसे खतरनाक पिंड भी है. यह पदार्थ से लेकर प्रकाश तक को निकले की क्षमता रखता है. और एक कोई वस्तु इसके अंदर चली जाए तो बाहर नहीं आती है. यही वजह से कि इसके अंदर पदार्थ के साथ क्या होता किसी को भी पता नहीं हैं. इनमें एक और रहस्यमयी बात होती है, इनके केंद्र में भौतिकी के सभी नियम (Laws of Physics) नाकाम हो जाते हैं. इतना सब पता होने के बाद भी ब्लैक होल के बहुत से रहस्य और सवाल अनसुलझे हैं.
ब्लैक होल (Black Hole) और आम लोगों दोनों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं. आम लोगों के लिए यह पदार्थ से लेकर प्रकाश तक निगलने वाले दानव (Material eating Devil) की तरह है. वहीं वैज्ञानिकों के लिए यह ऐसा पिंड है जिसके बारे में जानना बहुत मुश्किल हैऔर सारी जानकारी इसका आसपास के क्षेत्र और अन्य अप्रत्यक्ष तरीकों से ही हासिल की जा सकती है. ब्रह्माण्ड (Universe) और अंतरिक्ष (Space) के बारे में अनसुलझे सवालों के जवाब भी ब्लैकहोल सुलझा सकते हैं. पिछले साल जिन कार्यों के लिए भौतिकी में नोबोल पुरस्कार दिया गया था वे ब्लैक होल से ही संबंधित थे.

ब्लैकहोल (Black Hole) के बारे में जितनी जानकारी अब तक मिल सकी है, उससे उसे एक खतरनाक पिंड माना जाता है. इसकी तीन वजहे हैं. पहली, ब्लैक होल में गिरने पर सब कुछ, यहां तक कि इंसान भी नष्ट हो जाएगा. इसके अलावा सभी गैलेक्सी (Galaxies) के केंद्र में बहुत ही विशाल ब्लैक होल हैं जिनकी भूख बहुत ही ज्यादा है. एक और वजह यह है कि ब्लैक होल में भौतिकी के नियम (Laws of Physics) नहीं लगते हैं और अभी तक यह पता नहीं चला है कि उसके अंदर किस तरह के नियम लगते हैं.

गैलेक्सी (Galaxies) के बीचोंबीच में पाए जाने वाले सुपरमासिव ब्लैक होल ज्यादातर समय निष्क्रिय होते हैं, लकिन जब वे सक्रिय होते हैं तब वे तारे और गैस को निगलते दिखाई देते हैं और ब्लैक होल के पास का इलाका अपनी चमक से गैलेक्सी तक को फीका कर देता है. अभी तक पिछले कई दशकों में ब्लैक होल (Black Hole) के बारे में काफी कुछ पता भी चला है, लेकिन इसके बहुत से रहस्य अभी तक खुले नहीं हैं. वे विशाल तारों (Stars) के मरने के बाद पैदा होते हैं जिसके नाभकीय ईंधन खत्म होने से तारे का क्रोड़ इतने सघन पदार्थ में संकुचित हो जाता है कि प्रोटोन न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन अलग अलग कण नहीं रह जाते हैं.

ब्लैक होल (Black Hole) तब पहचान में आते हैं जब वे किसी सामान्य तारे का चक्कर लगाते हैं. उसके साथी तारे से ही खगोलविद ब्लैक की विशेषताएं जान पाते हैं. पहला ब्लैक होल जिसकी पुष्टि हुई थी वह सिग्नस एक्स-1 (CygnusX-1) जो सिग्नस तारामंडल का सबसे चमकीला स्रोत है. उसके बाद से इस सिस्टम में करीब 50 ब्लैक होल खोजे जा चुके हैं. हमारी मिल्की वे गैलेक्सी में ही करीब एक करोड़ ब्लैक होल होने की उम्मीद की जाती है. ब्लैकहोल को कब्र की मजार कहा जाता है. मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग अपनी किताब अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम में बता चुके हैं कि कैसे ब्लैक होल का विशाल गुरुत्व इंसान के शरीर के हिस्सों को और फिर उसके अणुओं को अलग अलग कर निगल सकता है.

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