अक्सर कुछ लोग साजिश के तहत बेगुनाह लोगों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट (False FIR) लिखा देते हैं. ऐसी झूठी प्राथमिकी यानि एफआईआर निश्चित तौर पर आपको दिक्कत में डाल सकती हैं, इससे बचने के लिए क्या करें.
हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो कानून का दुरुपयोग करना बहुत अच्छी तरह जानते हैं. अक्सर हम ये खबरें पढ़ते या सुनते हैं कि किस तरह लोगों को झूठी रिपोर्ट लिखाकर उन्हें फंसाने और परेशान करने का काम किया जाता है. ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है. अगर ऐसा हो जाए तो क्या कोई कानूनी रास्ता है, जिससे अपना बचाव किया जा सके.
हम आपको यहां यही बताएंगे कि अगर कोई आपके खिलाफ झूठी एफआईआर लिखवा देता है तो आपके पास इससे बचने के लिए क्या रास्ता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 482 में इस तरह के मामलों को चैलेंज करने का प्रावधान किया गया है. यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी है तो इस धारा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
आईपीसी की धारा 482 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है. तब आप कोर्ट के जरिए इस मामले में आपके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होगी. पुलिस को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी.