नई दिल्ली, 23 जुलाई, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार अपने बजट में सामाजिक क्षेत्र पर आवंटन बढ़ा सकती है। अर्थशात्रियों के अनुसार माना जा रहा है कि सरकार आने वाले वर्षो में शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर देगी, सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि विकास के मोर्चे पर देश के समक्ष भौतिक और सामाजिक सुविधाओं में निवेश बढ़ाना प्रमुख चुनौती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कान्क्लेव में कहा कि भारत के समक्ष विकास की जो चुनौतियां हैं, उनमें भौतिक और सामाजिक सुविधाओं पर खर्च बढ़ाने की हैं। खासकर ग्रामीण भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में व्यापक निवेश की जरूरत है, ताकि हम मानव संसाधन का समग्रता से दोहन कर सकें। जेटली का यह ब्यान वित्तीय वर्ष 2018-19 के आम बजट की दृष्टी से महत्वपूर्ण है, आगामी बजट मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा, 2019 में आम चुनाव से पूर्व सरकार लेखानुदान ही पेश करेगी, ऐसे में सरकार सामाजिक क्षेत्र का आवंटन बढ़ा सकती है। अब तक सरकार का जोर लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करने पर रहा है, खासकर सरकार ने कालेधन पर नियंत्रण के लिए नोटबंदी जैसे कदम उठाए हैं। वहीं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में लंबित कर सुधारों को भी लागू किया है, ऐसे में वर्तमान कार्यकाल के अंतिम वर्ष सरकार आकर्षक बजट ला सकती है। जेटली ने नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद कैश ट्रांजेक्शन करना मुश्किल हुआ है। इससे कर अनुपालन बेहतर होगा तथा कर आधार भी बढ़ेगा। सरकार ने शेल कंपनियों, घरेलू कालेधन और विदेश में जमा कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में बड़ी तादाद में लेन-देन सिस्टम से बाहर हो रहे थे। यह एक आम बात बन गयी थी।