भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह पर हुए समारोह के दौरान जंतर-मंतर पर विवादित भाषण देने के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट आज शाम 4 बजे फैसला सुना सकती है. आज इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से बीजेपी नेता अश्निनी उपाध्याय की जमानत का विरोध किया गया. पुलिस ने कहा कि कहने के बाद भी इन लोगों ने पुलिस के निर्देशों का उल्लंघन किया. इधर, अदालत ने सुनवाई के दौरान अश्विनी उपाध्याय के वकील से पुलिस को भेजा गया ईमेल और मीडिया में दिए गए बयान की विस्तृत जानकारी मांगी है.
इससे पहले अदालत में जंतर-मंतर पर आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में हुई सुनवाई के दौरान अश्विनी उपाध्याय की तरफ से वकील विकास सिंह, सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए. सिद्धार्थ ने कहा कि जब कथित नारेबाजी हो रही थी, तो अश्विनी मौके पर नहीं थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अश्विनी के खिलाफ मामला नहीं बनता. इस पर कोर्ट ने अभियोजन पक्ष से पूछा कि आप जमानत पर क्या कहना चाहते हैं? वकील ने कहा कि जहा लोग इकठ्ठा हुए थे वो जगह संसद के पास है. 15 अगस्त से पहले इस तरह की भीड़ जान-बूझकर इकठ्ठा की गई. वकील ने कहा कि इन लोगों ने पुलिस की की बात नहीं मानी. उपाध्याय ये कह रहे हैं कि वो घटना के समय वहां नहीं थे, लेकिन वो थे या नहीं, ये जांच का विषय है.
पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि पहले तो ये बिना इजाजत के इकठ्ठा हुए, उसके बाद पुलिस की बात नहीं मानी. जब भड़काऊ नारे लगाए गए तो इन लोगों ने पुलिस को इस बाबत नहीं बताया. इस मामले में अभी जांच करनी है. इस पर अश्विनी उपाध्याय के वकील विकास सिंह ने कहा कि जब अश्विनी वहां से चले गए थे, तो उनकी भूमिका कहां से आई. शाम को जब वीडियो वायरल हुआ है तो आपने सुबह से शाम तक जो वहां थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अश्विनी का नारे लगाने वालों से कोई नाता नहीं है. केवल पब्लिक को दिखाने के लिए अश्वनी को गिरफ्तार किया गया.
कोर्ट में बीजेपी नेता की तरफ से एके प्रसाद ने भी बहस की. उन्होंने कहा कि सुबह जब अश्वनी थे तो वहां इस तरह के कोई स्लोगन नहीं लगे थे. इसके बाद वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने बहस की शुरुवात की. उन्होंने कहा कि अश्विनी ने खुद मीडिया में कहा था कि जिन लोगों ने नारे लगाए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. अभियोजन पक्ष ने पास अश्विनी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.