मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) के जबलपुर से बड़ी खबर है. यहां कोरोना काल में हुए अब तक के सबसे बड़े गोरखधंधे का काला चिट्ठा पुलिस ने तैयार कर लिया है. मध्य प्रदेश से गुजरात कनेक्शन वाले नकली रेमडेसिविर केस में जबलपुर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ 1311 पन्नों का चालान पेश किया है. पुलिस ने 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल कर सभी आरोपियों के खिलाफ चालान न्यायालय में पेश किया.
इस चालान में 190 गवाह, 100 जप्ती भी शामिल हैं. गौरतलब है कि कोरोना संकट काल के दौरान जबलपुर के सिटी अस्पताल में 465 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल किए गए थे. इस मामले में ओमती थाने में 10 मई को अपराध दर्ज किया था. यह अपराध सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा के खिलाफ दर्ज किया गया था. इसके बाद जांच आगे बढ़ी और कुल 11 आरोपी पूरे मामले में बनाए गए. 11 मई को सरबजीत सिंह मोखा को गिरफ्तार किया गया था.
इन लोगों को बनाया गया आरोपी
पुलिस ने मोखा को 26 मई तक रिमांड पर लिया. इसके बाद गुजरात पुलिस 29 जून को पूछताछ के लिए मोखा को अपने साथ ले गई. इस मामले में अन्य आरोपियों में सरबजीत सिंह मोखा की पत्नी, उनका बेटा, अस्पताल का दवा इंचार्ज देवेश चौरसिया, मैनेजर सोनिया शुक्ला खत्री के अलावा अस्पताल में दवा सप्लाई करने वाला सपन जैन. उसका साथी राकेश शर्मा. नकली रेमडेसिविर का सौदा कराने वाला रीवा निवासी सुनील मिश्रा , नकली फैक्ट्री के संचालक कौशल वोरा, पुनीता शाह और रेमडेसिविर की शीशीयों को किराए पर तैयार करने वाले नागेश उर्फ नागौद जी को आरोपी बनाया गया है.
इन धाराओं में लगा केस
बता दें, गुजरात से इंदौर के रास्ते जबलपुर 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचे थे. इनमें से 465 इंजेक्शन के उपयोग की जानकारी पुलिस को मिल गई थी. जबकि, 35 इंजेक्शन को नर्मदा नदी में बहा दिया गया था. जांच में यह बात भी सामने आई कि नकली रेमडेसिविर लगने से 16 मरीजों की मौत हुई थी. कोरोना की दूसरी लहर के भयावह दौर में सिटी अस्पताल में भर्ती 171 मरीजों को 209 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे. पुलिस ने सभी 11 आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 274, 275 ,304 ,308 ,120 बी ,34 आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 53 ,ड्रग कंट्रोल एक्ट ,महामारी अधिनियम और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत चालान पेश किया है. जानकारी के मुताबिक मौखा पर 3 माह का एनएसए और बढ़ा दिया गया है