दो दिन पहले ही अमेरिका के प्रमुख वायरस विशेषज्ञ एंथनी फाउसी ने कहा था कि हम यह बात मानने को तैयार नहीं है कि कोरोना वायरस इंसानों द्वारा तैयार नहीं किया गया है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी खुफिया विभाग को स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि वह 90 दिनों के अंदर यह पता लगाएं कि आखिर कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से या कैसे हुई है. उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि खुफिया विभाग 90 दिनों के अंदर यह पता लगाएं कि क्या कोरोना वायरस चीन द्वारा जानबूझकर फैलाया गया है या चीन के लेबोरेटरी में अनजाने में इसकी उत्पत्ति हुई है.
दोबारा दोगुना मेहनत करे खुफिया विभाग
बाइडेन ने अपने वक्तव्य में कहा है कि खुफिया विभाग को दोबारा से दोगुनी मेहनत कर सूचनाओं को एकत्र करनी होगी और इसका आकलन करना होगा. उन्होंने कहा कि हमें यह रिपोर्ट 90 दिनों के अंदर मिल जानी चाहिए. कोरोना किसी संक्रमित पशु से संपर्क में आने से इंसानों में फैला या इसे किसी प्रयोगशाला में बनाया गया, इस सवाल पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. राष्ट्रपति ने चीन से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग करे. उन्होंने अमेरिकी प्रयोगशालाओं को भी जांच में सहयोग करने को कहा.
सहयोगियों के साथ चीन पर दबाव डालेगा अमेरिका
जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका दुनियाभर में समान विचारधारा वाले अपने सहयोगियों के साथ मिलकर चीन पर एक समग्र, पारदर्शी, सबूत आधारित अंतरराष्ट्रीय जांच और प्रासंगिक आंकड़े और साक्ष्य पेश करने के लिए दबाव डालेगा. हालांकि, उन्होंने इस बात की भी संभावना जताई कि पूर्ण सहयोग प्रदान करने में चीनी सरकार के इनकार से हो सकता है कि कभी भी कोई निष्कर्ष ना निकल सके. अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच का अगला चरण अधिक पारदर्शी और विज्ञान-आधारित होना चाहिए. दोनों नेताओं ने जांच की बात उन खबरों के बीच की है जिसमें वायरस के चीन की किसी प्रयोगशाला से निकलने की आशंका जताई गई है.
चीन में महामारी से पहले संक्रमण का दावा
कुछ दिन पहले ही अमेरिका के ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के खुलासे से कुछ सप्ताह पहले नवंबर 2019 में वुहान विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला के तीन शोधकर्ताओं ने उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने को कहा था. इसमें यह भी कहा गया कि अप्रैल 2012 में छह खनिक एक खदान में जाने के बाद कोरोना जैसी रहस्यमय बीमारी से बीमार पड़ गए थे. यह खदान दक्षिण पश्चिम चीन के पहाड़ों में स्थित एक गांव के बाहर स्थित है. डब्ल्यूआईवी के शीर्ष शोधार्थियों ने इसकी जांच की थी.