कलम : ऋचा सहाय, रायपुर
मेरा हाथ पकड़े मेरा बेटा,
मुझ से कहने लगा
देखो मां मैं तुमसे बड़ा हो गया,
मैंने कहा, बेटा इस गलतफहमी में भले ही जकड़े रहना,
मगर मेरा हाथ हमेशा पकड़े रहना ,
जब कभी यह हाथ छूट जाएगा,
तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा,
हकीकत में नहीं है दुनिया हसीन,
मैं तेरी मां हूं बेटा बहुत खुश हो जाऊंगी,
जब तू हकीकत में मुझसे बड़ा हो जाएगा,
जब तू जमीन पर अपने पांव पर खड़ा हो जाएगा,
तेरी मां उस दिन सबसे अमीर हो जाएगी,
पैसों से नहीं तेरे नाम से अमीर हो जाएगी,
पैसे तो एक छलावा है बेटा ,
जिसके लिए दुनिया अपनों की इज्जत लूटती है,
बस जल्दी बड़ा हो जा बेटा ,
अपने पांव पर खड़ा हो जा बेटा,
ये मां तुझे अपना सब कुछ दे देगी,
और तेरे कंधे पर दुनिया से चली जाएगी,