Home छत्तीसगढ़ बिहार की बेटी के साहस की मुरीद हुई इवांका ट्रंप

बिहार की बेटी के साहस की मुरीद हुई इवांका ट्रंप

491
0

नई दिल्ली/दरभंगा। लॉकडाउन ने लाखों प्रवासियों को ताउम्र न भूलने वाला दर्द दिया। इस दौरान कई कहानियां या कहें आपबीती सामने आईं। कोई सैकड़ों किलोमीटर भूखे-प्यासे पैदल चलकर अपने घर लौटा। किसी ने रास्ते में ही जान गंवा दी। इस बीच इंसान के हौसले और चट्टान जैसे मजबूत इरादों की कहानी भी सामने आई। अभावों के बीच एक मिसाल बनकर बिहार की बेटी ज्योति कुमारी सामने आयी है। ज्योति कुमारी के साहस की तारीफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप की बेटी इवांका ने किया है। ज्योति बिहार के दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहूल्ली गांव में रहती हैं। 13 साल की ज्योति बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर 10 मई को दिल्ली से चलीं। 16 मई को दरभंगा पहुंचीं। उन्होंने सात दिन में 1200 किलोमीटर दूरी तय की। ज्योति की ‘ज्योति’ सात समंदर पार अमेरिका भी पहुंची। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी इवांका ने उन्हें ट्विटर पर सराहा। तारीफ और हौसला अफजाई के लिए ज्योति ने इवांका को धन्यवाद कहा। ज्योति ने कहा, मैं पहले इवांका दीदी को नहीं जानती थी। अब जान गई हूं। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। वो बहुत बड़ी शख्सियत हैं। उन्होंने मेरे जैसी छोटी बच्ची की तारीफ की। यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है। मैं बहुत खुश हूं।

पिता के साथ हुए हादसे के बाद छूट गई थी पढ़ाई

ज्योति के परिवार में छह लोग हैं। दो भाई, दो बहन और माता-पिता। पिता मोहन पासवान अकेले दिल्ली में रहकर रिक्शा चलाते थे। मां गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए खाना बनाती हैं। उन्हें हर महीने दो हजार रुपए मिलते हैं। ज्योति बताती हैं, माता-पिता की कमाई से किसी तरह घर चल रहा था। मैं गांव के स्कूल में पढ़ने जाती थी। एक ट्रक ने मेरे पिता के रिक्शा को टक्कर मार दी। उनका घुटना टूट गया। मैं पढ़ाई छोड़कर दिल्ली आ गई। ताकि पापा का ख्याल रख सकूं। उनके इलाज में बचाकर रखा पूरा पैसा खर्च हो गया। मां ने कई लोगों से कर्ज भी लिया।

जन धन खाते के 500 रुपए में खरीदी साइकिल

ज्योति ने कहा कि मैंने साइकिल चलाना सीख रखा था। दिल्ली में मेरे पास साइकिल नहीं थी। लॉकडाउन के चलते जब भूखे मरने की नौबत आई तब जन-धन खाते से 500 रुपए निकाले। इस पैसे से एक पुरानी साइकिल खरीदी। उसी पर पापा को बैठाकर ले आई। मैंने बेटी होने का फर्ज निभाया। जब भी ऐसा मौका मिलेगा। माता-पिता की सेवा करती रहूंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here