विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस पर विशेष
रायपुर। अक्सर लोग शारीरिक बीमारियों पर ही ध्यान देकर मानसिक रोगों को नजरंदाज कर देते हैं। सच्चाई यह कि मानसिक रोग व्यक्ति को और अधिक कमजोर बना देते है। स्क्रिजोफ्रेनिया मानसिक रोग का एक गंभीर रूप है जहाँ व्यक्ति भ्रम और मतिभ्रम (आवाजे सुनाई देना व स्वयं से बातें करना ) का अनुभव करता हैं। ऐसे लोगों को समाज में अपनाया नहीं जाता है और यह माना जाता है कि ऐसेलोगों का कभी उपचार नहीं हो सकता है। इसलिए इसकी जागरुकता और इससे जुडी हुई भ्रांतियों और अन्धविश्वास को मिटाने के लिए हर साल 24 मई को विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस की थीम स्टीग्मा रीमूविंग (भ्रांतियों को मिटाना) है । मनोचिकित्सक डॉ.शुक्ला ने बताया, स्क्रिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है जहाँ व्यक्ति भ्रम और मतिभ्रम (आवाजे सुनाई देना व स्वयं से बातें करना ) का अनुभव करते हैं। उन्हें लगता हैउनके बारे में लोग कुछ बाते करते हैं। उनकों डर लगना और कुछ होने का आभाष लगता है जो केवल उनका वहम होता है ।उन्होंने बताया, मानसिक बीमारी वाले लोग महत्वाकांक्षी, प्रेरित, बुद्धिमान या निर्णय लेने व कार्य करने में अक्सर सक्षम नहीं होते हैं। बीमारी की चपेट में आने वाले सबसे अलग रहने लगते हैं और आत्महत्या की भावना भी उनके मन में आतीहै। यह रोग आनुवांशिक हो सकता है या तनाव, पारिवारिक झगड़े व नशे की आत से भी होता है। ऐसे में समय से समुचित इलाज बेहद जरूरी है। समय से इलाज शुरू होने पर 8 से 10 माह में मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
मानसिक रोग से जुडी भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत
डॉ. शुक्ला ने बताया समाज में कई तरह की रुढ़ीवादी परम्पराएँ चली आ रही हैं जिसके कारण भी मानसिक बीमारी का पता आसानी से नहीं लगता हैं। इसीलिए मानसिक रोग से जुडी भ्रांतियों और गलत धारणों को मिटाने के लिए हर साल स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके प्रति फैली भ्रांतियों से भी अवगत कराया जा सके। इस भाग दौड़ भरी लाइफ में व्यक्ति में बहुत तरह की मानसिक परेशानियां होती हैं जो कभी कभी जीवन में बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं।