नई दिल्ली, 19-11-19 : राष्ट्रपति भवन में आई.आई.टी, एन.आई.टी और आई.आई.एस.टी के निदेशकों का सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें आई.आई.टी के 23, तथा एन.आई.आई.टी और आई.ई.एस.टी के 31 निदेशकों के अलावा केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री , मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और एआईसीटीई के अध्यक्ष ने भी भाग लिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह साल का एक ऐसा समय है जब राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है।. ‘ हम सब एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं रही। पिछली कुछ सदियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने पूरी दुनिया का परिदृश्य बदल कर रख दिया है और अब यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। यह उन देशों के लिए एक तरह की दोहरी चुनौती है, जो अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालना चाहते हैं, हमें इस चुनौती से निबटने के विकल्प तलाशने होंगे।’ श्री कोविंद ने कहा कि कई वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं ने दुनिया का अंत होने (डूम्स डे) की बात कही है। हमारे शहरों में आज-कल धुंध और कम दृश्यता जैसी स्थितियों को देख कर यह डर सताने लगा है कि भविष्य के लिए कही यह बात कहीं अभी ही सच नहीं हो जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि आई.आई.टी और एन.आई.टी अपनी विभिन्न विशेषज्ञताओं के माध्यम से साझा भविष्य के लिए छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को ज्यादा संवेदनशील और जागरुक बनाने का काम करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि कारोबारी सुगमता सूचकांक में भारत की स्थिति बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से किए गए केन्द्रित प्रयास किए हैं , और अब इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए जीवन सहज बनाना है। उन्होंने प्रौद्योगिकी के संदर्भ मे यह विश्वास व्यक्त किया कि आई.आई.टी और एन.आई.टी जैसी संस्थाएं नागरिकों के जीवन को सहज बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं, उन्होंने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार, जल आपूर्ति प्रणालियों को कुशल बनाना और स्वास्थ्य सेवा वितरण को अधिक प्रभावी बनाना आदि ऐसे अनगिनत तरीके हैं जिनसे प्रौद्योगिकी एक औसत भारतीय के जीवन में नाटकीय अंतर ला सकती है। यह सम्मेलन 152 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ राष्ट्रपति के नियमित संवाद का हिस्सा है।