रायपुर(छ.ग.),27-3/ आम जनता के साथ सीधे संवाद और योजनाओं के सोशल आडिट के लिए भारत का इकलौता और अनोखा लोक सुराज अभियान छत्तीसगढ़ में प्रदेशवासियों की सक्रिय भागीदारी से चल रहा है। इस वर्ष लगभग ढाई महीने पहले शुरू हुए राज्य सरकार के इस वार्षिक अभियान के तहत मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का प्रदेशव्यापी दौरा जारी है, यह अभियान राज्य सरकार और जनता के बीच अपनेपन से परिपूर्ण भावनात्मक रिश्तों के साथ, चौपालों और समाधान शिविरों में लोग सरकार के नुमाइंदों से खुलकर बातचीत करते हुए अपना दुःख दर्द बता रहे हैं और उन्हें राहत भी मिल रही है। रमन सरकार इस अभियान के जरिये प्रदेश की 10 हजार 971 ग्राम पंचायतों के लगभग 20 हजार गांवों और सभी 168 शहरों में जनता से संवाद कायम कर रही है। चौपाल और समाधान शिविर सरकार और जनता के बीच संवाद सेतु की भूमिका निभा रहे हैं। ज्ञात हो कि अभियान का यह तीसरा चरण है। इसमें मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्री और मुख्य सचिव से लेकर सभी संभागीय कमिश्नर, जिला कलेक्टर और शासन के सभी विभागों के मैदानी अधिकारी और कर्मचारी गांवों का दौरा कर रहे हैं। समाधान शिविरों में लोगों को योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं। डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में लोक सुराज अभियान का पहला अध्याय ग्राम सुराज अभियान के रूप में वर्ष 2005 में शुरू हुआ। लगभग सात वर्ष बाद उन्होंने इसमें नगर सुराज अभियान को भी जोड़ा। इसके बाद वर्ष 2015 से ग्राम और नगर दोनों को मिलाकर उनके नेतृत्व में लोक सुराज अभियान की शुरूआत हुई। डॉ. सिंह ने इस बार भी लोक सुराज अभियान में हेलीकॉप्टर से जिलों के आकस्मिक दौरे की शुरूआत राज्य के नक्सल हिंसा पीड़ित बस्तर संभाग के जिलों से की। उन्होंने पहले दिन 11 मार्च को कांकेर जिले के ग्राम बण्डाटोला में आकस्मिक रूप से पहुंचकर चौपाल लगाई और उसी दिन मद्देड़ (जिला बीजापुर) और इंजरम (जिला सुकमा) के समाधान शिविरों में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने गत दिन लोक सुराज के सोलहवें दिन आज बेमेतरा, बालोद, धमतरी और कांकेर जिलों का सघन दौरा किया। इसे मिलाकर डॉ. सिंह ने विगत लगभग एक पखवाड़े से चल रहे तीसरे चरण के अभियान में बस्तर से लेकर सरगुजा तक राज्य के 27 में से 25 जिलों का दौरा कर लिया है। उन्होंने आज बेमेतरा जिले के ग्राम तेन्दूभाठा, जिला बलोद के ग्राम भण्डेरा और जिला धमतरी के ग्राम जोरातराई के समाधान शिविरों में अचानक पहुंचकर जनता से मुलाकात की। इस बीच उन्होंने विभिन्न जिलों में कहीं स्कूलों और छात्रावासों में पहुंचकर बच्चों से बातचीत की, तो कहीं वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकानों में आ चुके ग्रामीणों से मिलने उनके घर पहुंच गए। कहीं पेड़ की डगाल पर खेलते नन्हें बच्चों से हाथ मिलाया, तो कहीं चौपालों में उनसे पहाड़ा और कविताएं सुनकर उनका उत्साह बढ़ाया। समाधान शिविरों में हितग्राहीमूलक योजनाओं के तहत जरूरतमंद लोगों को सामग्री आदि का भी वितरण किया। डॉ. रमन सिंह इन शिविरों को मिलाकर अब तक 20 जिलों के समाधान शिविरों में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने इस बार के अभियान में सात गांवों में आकस्मिक रूप से पहुंचकर कहीं पेड़ों की छांव में, तो कहीं तालाब के किनारे चौपाल शैली में ग्रामीणों से मुलाकात की, तो 20 समाधान शिविरों में भी अचानक ही पहुंचे। अभियान के तहत मुख्यमंत्री जिन आकस्मिक चौपालों में शामिल हुए उनमें बंडाटोला (जिला कांकेर), सेमहरा (जिला गरियाबंद ), मेरो (जिला कोरिया ), डोंगरडुला (जिला धमतरी), पुसापाल (जिला कोण्डागांव), टुरीझर (महासमुंद) और सिंघारी (जिला-कबीरधाम) सम्मिलित हैं। मुख्यमंत्री इस अभियान के तहत विभिन्न जिला मुख्यालयों में अधिकारियों की बैठक लेकर विकास कार्यों और योजनाओं की समीक्षा भी कर रहे हैं, उन्होंने अब तक 09 जिला मुख्यालयों में 19 जिलों की संयुक्त समीक्षा बैठक ले चुके हैं। उन्होंने जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा की समीक्षा की। इसके बाद जिला मुख्यालय बिलासपुर में मुंगेली और बिलासपुर जिलों की और जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में सरगुजा तथा बलरामपुर जिलों की समीक्षा उनके द्वारा की गई। डॉ. रमन सिंह ने जिला मुख्यालय जांजगीर में कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलो संयुक्त समीक्षा बैठक ली। राजनांदगांव में में उन्होंने कबीरधाम और राजनांदगाव जिलों की समीक्षा की। डॉ. सिंह ने जिला मुख्यालय जगदलपुर में नारायणपुर और बस्तर जिलों की तथा जिला मुख्यालय जशपुर में रायगढ़ और जशपुर जिलों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कोरिया जिले के मुख्यालय बैकुण्ठपुर में सूरजपुर और कोरिया जिलों की संयुक्त समीक्षा बैठक हुई। कल 26 मार्च को उन्होंने जिला मुख्यालय कांकेर में कोण्डागांव और कांकेर जिलों की समीक्षा की। आज महासमुंद में दो जिलों – गरियाबंद और महासमुंद जिलों की समीक्षा उनके द्वारा की गयी।
देश का इकलौता लोक सुराज अभियान छत्तीसगढ़ राज्य में निरंतर जारी
चौपालों और समाधान शिविरों के जरिये जनता से सीधा संवाद, वर्ष 2005 में हुई शुरूआत