महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस और अजीत पवार के बीच कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे पर हुई एक और बैठक बेनतीजा रही. सूत्रों के मुताबिक, पवार अभी भी वित्त मंत्रालय की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी सांसद अमित शाह से मिलने के लिए बुधवार रात को दिल्ली जाएंगे, जिसके बाद इन मुद्दे हल होने की उम्मीद है.
सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि मंगलवार की बैठक में अजित पवार ने एक बार फिर कैबिनेट विभागों में फेरबदल का प्रस्ताव रखा, लेकिन सीएम शिंदे ने इससे इनकार कर दिया. अजित पवार ने वित्त, सिंचाई, पर्यटन, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, ग्रामीण विकास आदि विभाग मांगे हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि पवार ने केंद्र में एक कैबिनेट मंत्री का पद भी मांगा है. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री पर उनके शिवसेना विधायकों का काफी दबाव है और उन्होंने पवार को स्पष्ट कर दिया कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागों का वितरण किया जाएगा और एनसीपी गुट को सेना कोटे से मंत्रालय नहीं मिलेंगे.
BJP-शिवसेना विधायकों को भी मंत्री बनने की चाह
अजित पवार के नेतृत्व में शरद पवार के खिलाफ बगावत करके बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हुए 10 दिन से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अब उनके साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले 9 एनसीपी विधायकों को कोई विभाग नहीं मिला है.
महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र पांच दिनों में शुरू होने वाला है और इसीलिए अजित पवार सीएम शिंदे पर विभागों की घोषणा करने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि सीएम के लिए कैबिनेट का विस्तार करना प्राथमिकता है, क्योंकि शिवसेना और बीजेपी के विधायक पिछले एक साल से कैबिनेट में जगह पाने का इंतजार कर रहे हैं.
एक अनार-सौ बीमार वाली हालत
महाराष्ट्र में अधिकतम 43 कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं. अब तक, इनमें से 29 पद भरे जा चुके हैं और मंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची लंबी हो गई है. भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘सीएम शिंदे के लिए कैबिनेट मंत्रियों का चयन करना बहुत मुश्किल काम होगा. ऐसी संभावना है कि वह कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले विधायकों का चयन करते समय जाति जैसे कारकों पर विचार कर सकते हैं, जिस तरह अजित पवार ने उनके साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले विधायकों का चयन करते समय ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है.’