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UPSC मेंस परीक्षा में उम्‍मीदवारों से गलती की संभावना कहां होती है? बता रहे हैं सीनियर आईपीएस अधिकारी

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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रिलिम्‍स परीक्षा में सफल उम्‍मीदवार मेंस की तैयारी कर रहे हैं. इनमें तमाम उम्‍मीदवार कोचिंग लेकर तो तमाम बगैर कोचिंग के तैयारी में जुटे होंगे. इस समय इन छात्रों को गाइडेंस की जरूरत होती है, परीक्षा में किन चीजों का ध्‍यान रखें, क्‍या सावधानी बरतनी चाहिए, कौन सी गलती छात्रों द्वारा करने की संभावना होती है, जिससे बचना चाहिए.

वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी श्‍लोक कुमार उम्‍मीदवारों की इसी तरह की उलझनों को दूर करने की कोशिश रहे हैं. यूपीएससी सिविल सेवा मेंस परीक्षा 2023 का आयोजन 15 सितंबर 2023 को किया जाएगा. इस परीक्षा में वे उम्मीदवार बैठेंगे जो प्रीलिम्स में क्वॉलिफाई कर चुके हैं.

श्‍लोक कुमार मौजूदा समय उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. वो बताते हैं कि सबसे महत्‍वपूर्ण सवाल को ठीक से पढ़ना है. सवाल हमेशा स्‍पेसिफिक पूछा जाता है तो इसका जवाब भी स्‍पेसिफिक देना चाहिए. कई बार यह पाया गया है कि उम्‍मीदवार सवाल का वो जवाब देता है तो उसे पता होता है. मसलन किसी योजना के प्रावधान के प्रभाव के बारे में पूछा गया और उम्‍मीदवार को योजना का प्रावधान पता होता है वो उसे लिख देता है जो गलत है, इसलिए जवाब भी स्‍पेसफिकि देना चाहिए.

मेंस की तैयारी के समय इंटरलिंक करना आना चाहिए. जैसे समाजशास्‍त्र और जनरल स्‍टडी (जीएस) पढ़ रहे हैं. मसलन समाजशात्र के उदाहरण में जीएस को शामिल करना चाहिए, जैसे हाल फिलहाल में जातिगत जनगणना का मामला चल रहा है. इसे शामिल कर सकते हैं. यानी समाजशास्‍त्र में जीएस रिफ्लेक्‍स होना चाहिए. इसको क्रास लिंकिंग कहते हैं. अगर जीएस का है तो समाजशास्‍त्र का उदाहरण या कोड डाल सकते हैं, पर थ्‍योरी नहीं डालना चाहिए. जवाब इस तरह देना चाहिए, जो आम आदमी भी समझ ले.

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