Home राष्ट्रीय पट्टा और रजिस्ट्री में क्या है अंतर, खरीदने और बेचने से पहले...

पट्टा और रजिस्ट्री में क्या है अंतर, खरीदने और बेचने से पहले जान लें नियम, कहीं चड़ न जाए कानून के हत्थे

34
0

घर, मकान, जमीन एक ऐसी चीज जिसे खरीदने से पहले लोग 10 तरह की छानबीन करते हैं. और करें भी क्यों न इसमें आपकी जिंदगीभर की जमा पूंजी जो लग जाती है. घर या जमीन खरीदने से पहले लोग उसके कागजात जरूर चेक कर लेते हैं. जमीन पट्टे वाली है या उसकी रजिस्ट्री है. जब हम कोई जमीन खरीदते हैं तो हमारे सामने तीन तरह की जमीन होती है. एक होती है रजिस्ट्री वाली जमीन जिस पर हम आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं.

दूसरी होती है नोटरी वाली जमीन जिस पर भी भरोसा किया जा सकता है. वहीं तीसरी होती है पट्टे वाली जमीन जिसे लेकर हमेशा से शंका बनी रहती है कि इसे खरीदना चाहिए या नहीं. अगर आप भी पट्टे वाली जमीन को लेकर कंफ्यूज हैं तो आज हम आपको बताएंगे की पट्टे और रजिस्ट्री में क्या अंतर होता है.

क्या होती है पट्टे वाली जमीन
बता दें कि सरकार द्वारा नई-नई योजना के अनुसार लोगों को पट्टा दिया जाता है. सरकार द्वारा दिए गए पट्टे के तहत भूमिहीन परिवारों की थोड़ी सहायता प्रदान की जाती है. पट्टे वाले जमीन पर किसी व्यक्ति विशेष का कोई अधिकार नहीं होता. अत: इस पर केवल सरकार का अधिकार होता है. सरकार किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये जमीन गरीब परिवारों को पट्टे पर देती है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं होता कि जमीन का मालिक वो व्यक्ति होता है.

पट्टे वाली संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को ना ही बेच जा सकता है और ना ही ट्रांसफर किया जा सकता है. इसमें यह सुविधा नहीं दी जाती. इसके अंतर्गत यह सुविधा व्यक्ति को पट्टे के प्रकार पर निर्भर करती है. इसके अंतर्गत व्यक्ति को तय समय सीमा के अनुसार फिर से उसे निर्धारित प्रक्रिया के साथ पटा लेना पड़ता है यहां पर उसका नवीनीकरण करवाना पड़ता है. सरकार द्वारा तय मापदंडों एवं शर्तों के अनुसार पट्टा स्थानीय निकाय द्वारा जारी किया जाता है. पट्टा सरकार द्वारा तय नियमों के अलग-अलग प्रकार पर निर्भर करता है. पट्टे कई प्रकार के होते हैं, जिसकी अवधि सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होती है.

रजिस्ट्री वाली संपत्ति
रजिस्ट्री होने पर क्रेता को अपनी संपत्ति ट्रांसफर या फिर बेचने का अधिकार मिलता है. रजिस्ट्री में विक्रेता और खरीददार दोनों लोगों को शामिल किया जाता है. इसके साथ ही रजिस्ट्री में गवाह की भी आवश्यकता होती है. रजिस्ट्री होने पर मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी खरीदार की होती है. रजिस्ट्री होने के बाद क्रेता हमेशा के लिए उस जमीन का मालिक बन जाता है. किसी अन्य व्यक्ति का उस पर किसी तरह का कोई हक नहीं होता.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here