भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने कहा है कि भारत, आतंकवाद को किनारे रख कर पाकिस्तान से सहयोग बढ़ाएं यह मोदी सरकार की सोच नहीं है और ना ही देश की भावना है. इसके साथ ही जब तक बॉर्डर एरिया में शांति नहीं होती तब तक चीन से रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते. मोदी सरकार के 9 साल के मौके पर विदेश मंत्रालय ने चीन और पाकिस्तान को लेकर अपनी भावना स्पष्ट कर दी है. चीन और पाकिस्तान पर विदेश मंत्री के बयान से साफ था की भारत से रिश्ते सामान्य करने की जिम्मेदारी दोनों देशों पर है न की केवल भारत पर.
विशेष मीडिया ब्रीफिंग में भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के दौरान चीन और पाकिस्तान से खराब रिश्तों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि चीन के साथ रिश्ते अच्छे तभी होंगे, जब बॉर्डर पर शांति और सद्भाव हो और चीन समझौते का पालन करे. एस जयशंकर ने साफ किया कि भारत चीन के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है लेकिन चीन के साथ संबंध सामान्य होने की कोई भी उम्मीद तब तक निराधार है जब तक पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होती. उन्होंने कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक दोनों देशों के संबंध आगे नहीं बढ़ सकते.
सीमा पर जारी यह गतिरोध चीन के हित में भी नहीं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत भी चीन के साथ संबंध सुधारना चाहता है, लेकिन दोनों पक्षों को सैनिकों की वापसी के तरीके खोजने होंगे. सीमा पर जारी यह गतिरोध चीन के हित में भी नहीं है. तथ्य यह है कि रिश्ता प्रभावित होता है. और रिश्ते प्रभावित होते रहेंगे. अगर कोई उम्मीद है कि किसी तरह हम [संबंधों] को सामान्य कर लेंगे, जबकि सीमा की स्थिति सामान्य नहीं है, तो यह एक अच्छी तरह से स्थापित उम्मीद नहीं है.
चीन ने हमें मजबूर करने की कोशिश की
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन को छोड़कर सभी प्रमुख देशों और प्रमुख समूहों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हैं. चीन ने जानबूझकर किसी कारण से 2020 में सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी सेना को तैनात करने के लिए समझौते को तोड़ दिया था और हमें मजबूर करने की कोशिश की.