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नए संसद भवन की सुरक्षा होगी कई गुना बेहतर, एडवांस टेक्‍नोलॉजी के साथ कई लेयर में होंगे कड़े इंतजाम

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नया संसद भवन पूरी तरह से बनकर तैयार है. नई संसद को आर्किटेक्‍ट बिमल पटेल की निगरानी में अहमदाबाद की एचसीपी डिजाइन, प्‍लानिंग एंड मैनेजमेंट ने डिजाइन किया है. इसे टाटा प्रोजेक्‍ट्स लिमिटेड ने रिकॉर्ड समय में बनाकर तैयार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार यानी 28 मई 2023 को नई संसद की 64,500 वर्ग मीटर में फैली भव्‍य इमारत का उद्घाटन करेंगे. वहीं, मौजूदा संसद करीब 24,281 वर्ग मीटर में फैली हुई है. दिल्‍ली पुलिस नई संसद के उद्घाटन समारोह के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम करने में जुटी है. इस बीच जानते हैं कि नई संसद में सुरक्षा के क्‍या बंदोबस्‍त हैं

मौजूदा संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 9 सुरक्षकर्मी मारे गए थे. इनमें एक जवान दिल्‍ली पुलिस का भी था. तब से संसद के सुरक्षा बंदोबस्‍त को लगातार कड़ा किया गया. इस सबके मद्देनजर संसद की नई बिल्डिंग में सुरक्षा बंदोबस्‍त का खास ख्‍याल रखा गया है. नई इमारत में सुरक्षा के लिए एडवांस टेक्‍नोलॉजी, आधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षा बल, अग्नि शमन प्रणाली समेत कई इंतजाम किए गए हैं. नई संसद की सुरक्षा मौजूदा भवन के मुकाबले कई गुना बेहतर होगी. दूसरे शब्‍दों में कहा जाए तो नई इमारत में कई ऐसा सुरक्षा बंदोबस्‍त होंगे, जो मौजूदा संसद में नहीं हैं.

सुरक्षा बंदोबस्‍त में आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल
संसद की नई इमारत में थर्मल इमेजिंग सिस्‍टम लगाया गया है. इससे संसद भवन परिसर में किसी भी तरह की घुसपैठ का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. इसके अलावा संसद भवन परिसर की निगरानी के लिए फेस रिकग्निशन सिस्‍टम से लैस एडवांस सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं. ये सीसीटीवी कैमरा 360 डिग्री रोटेट कर निगरानी रखेंगे. इससे संदिग्‍ध व्‍यक्ति के लिए परिसर में घुस पाना बहुत ज्‍यादा मुश्किल हो जाएगा. संसद और भवन के अंदर मौजूद हर व्‍यक्ति की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियार और उपकरण मुहैया कराए जाएंगे.

बैरियर, बाड़ और चौकियों से कई स्‍तर की सुरक्षा
संसद भवन परिसर में किसी भी संदिग्‍ध व्‍यक्ति को रोकने और किसी भी अनहोनी को नाकाम करने के लिए कई स्‍तर के सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं. इनमें बैरियर्स, बाड़ और चौकियों पर आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस सुरक्षा बलों की तैनाती होगी. नए भवन के सुरक्षा बंदोबस्‍त में इस बात का खास ख्‍याल रखा गया है कि अगर संसद पर आतंकी हमला, बम धमाका या किसी दूसरी तरह से हमला किया जाए तो किसी भी सांसद, कर्मचारी या दूसरे लोगों को कोई नुकसान ना हो.

आग से बचाने के किए गए हैं पुख्‍ता इंतजाम
नई संसद में आग लगने से होने वाले नुकसान से बचने के पूरे और पुख्‍ता इंतजाम किए गए हैं. दरअसल, मौजूदा संसद भवन में अग्निशमन के इंतजाम बाद में किए गए थे. इसलिए संसद भवन की इमारत को काफी नुकसान हुआ था. इस बार नई संसद में ऐसी किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए जबरदस्‍त फायर अलार्म सिस्‍टम लगाया गया है. वहीं, अग्निशमन प्रणाली की व्‍यवस्‍था भी की गई है. सुरक्षा के तमाम इंतजामों के साथ ही नई संसद के लिए सिक्‍योरिटी प्रोटोकॉल भी बनाए गए हैं. इसमें एक्सेस कंट्रोल से विजिटर मैनेजमेंट तक सबका ध्‍यान रखा जाएगा. कुल मिलाकर नया संसद भवन उस बख्‍तरबंद बंकर की तरह है, जिस पर कोई भी हमला बेअसर होगा.

साइबर सिक्‍योरिटी का होगा पुख्‍ता इंतजाम
नए संसद भवन में साइबर सुरक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसके लिए दो अलग-अलग सिक्‍योरिटी ऑपरेटिंग सेंटर स्थापित होंगे. इनमें एक इंटरनेट-एकीकृत नेटवर्क के लिए और दूसरा एयरगैप्ड नेटवर्क (इंट्रानेट और बाकी नेटवर्क से अलग) के लिए होगा. एक सुरक्षा संचालन केंद्र का उद्देश्य साइबर खतरों से बचाना है. एसओसी के विश्लेषक इसके नेटवर्क की चौबीसों घंटे निगरानी करेंगे और किसी भी संभावित सुरक्षा घटनाओं की जांच करेंगे. एसओसी संचालन नए संसद भवन में वाईफाई पर 2,500 इंटरनेट नोड्स, 1,500 एयरगैप्ड नोड्स और 2,000 उपकरणों की नेटवर्क गतिविधि की निगरानी करेगा.

क्‍यों पड़ी नए संसद भवन परिसर की जरूरत
दरअसल, संसद की पुरानी संरचना करीब 100 साल पुरानी है. मौजूदा संसद को उस समय की जरूरतों और तकनीक के हिसाब से बनाया गया था. अब संसदीय गतिविधियों, कार्यबल और आने वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में नए संसद भवन की जरूरत महसूस की जा रही थी. पुराना संसद भवन स्‍थान, सुविधाओं और तकनीक के मामले में मौजूदा जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है. यही नहीं, इसमें बुनियादी सुविधाएं भी जर्जर हो रही थीं. मौजूदा भवन पुरानी संचार प्रणाली, सुरक्षा व्‍यवस्‍था समेत कई चुनौतियों का सामना करता है. मौजूदा भवन में जल आपूर्ति व सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन प्रणाली, सीसीटीवी और ऑडियो-विजुअल सिस्टम को बाद में जोड़ा गया. इससे इमारत पर बुरा असर पड़ा है.

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