कोविद-19 के कारण लगे प्रतिबंधों का असर उच्च शिक्षा पर भी पड़ा था, जिससे कुछ सालों के लिए विदेश से पढ़ाई करने का सिलसिला थम सा गया था. लेकिन प्रतिबंध हटने के बाद दोबारा से छात्र अपने पसंदीदा विदेशी कॉलेजों में पढ़ाई करने के लिए जा रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया भी उच्च शिक्षा के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है. बड़ी संख्या में भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करते हैं. ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा विदेशी छात्रों की संख्या में भारतीय दूसरे नंबर पर आते हैं.
छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ ऑस्ट्रेलिया में फ्रॉड तरीकों से स्टूडेंट वीजा प्राप्त करने के मामले में भी तेजी देखी गई है. इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं. जिसके चलते पिछले महीने 5 ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने भारतीय छात्रों के एडमिशन पर बैन भी लगा दिया था. अब ऑस्ट्रेलिया, स्टूडेंट वीजा के नियमों में और सख्ती बढ़ाने जा रहा है. जिसका असर भारतीय छात्रों पर भी पड़ेगा.
10 साल का लगेगा बैन
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्रालय के हवाले से बताया है कि, जिन आवेदनों में फ्रॉड पाया जाता है, उन्हें ‘नॉन ग्रांट’ कैटिगरी में डाल दिया जाता है. जिससे वे 10 साल तक दोबारा आवेदन करने के लिए पात्र नहीं होते हैं. इसके अलावा फ्रॉड की बढ़ती गतिविधियों के कारण कई विश्वविद्यालयों ने भारतीय छात्रों के आवेदन में अतिरिक्त सावधानी बरतना शुरू कर दिया है. कड़ी स्क्रूटनी के बाद ही अब विदेशी छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए वीजा दिया जाएगा.
89,000 से ज्यादा छात्र करते हैं पढ़ाई
बता दें कि वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में तक़रीबन 89,700 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं चीनी छात्रों का आंकड़ा 1.25 लाख है. भारतीय छात्रों की संख्या में 27 फीसदी की बढ़त देखी गई है. लेकिन नए प्रतिबंधो के कारण इसमें आने वाले सत्रों में कमी देखी जा सकती है.