डिजिटल जमाने और सोशल मीडिया के इस युग में बहुत से काम आसान हो गए हैं, लेकिन साथ-साथ वित्तीय जोखिम और निजी जानकारी लीक होने का खतरा भी बढ़ गया है. आए दिन साइबर फ्रॉड के मामले सामने आते हैं. ऐसे माहौल में साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) की उपयोगित काफी बढ़ गई है. साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ के चलते साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी बेहद जरूरी हो गई है.
साइबर इंश्योरेंस में न सिर्फ ऑनलाइन धोखाधड़ी या अपराध से आपको को होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई होगी बल्कि ये किसी रेगुलेटरी एक्शन या मुकदमेबाजी से होने वाले अन्य संबंधित खर्चों को भी कवर करेगा. आइये जानते हैं साइबर इंश्योरेंस से जुड़ी अहम जानकारी.
साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस क्या है?
साइबर इंश्योरेंस कस्टमर्स को बैंक खाते में हुई ठगी, गलत लेन-देन और इससे संबंधित अन्य साइबर अपराधों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. भारत में कंपनी और ग्राहकों दोनों के लिए साइबर सिक्योरिटी इंश्योरेंस प्लान उपलब्ध है. कॉर्पोरेट्स के लिए कॉर्पोरेट साइबर लायबिलिटी पॉलिसी, जबकि
ग्राहकों के लिए रिटेल साइबर लायबिलिटी पॉलिसी मौजूद है.
आजकल, साइबर हमलों से किसी कंपनी को ही नहीं है बल्कि आम आदमी को भी नुकसान उठाना पड़ता है. हर कोई पैसे के लेन-देन, खरीदारी, सोशल मीडिया के लिए इंटरनेट का उपयोग करता है और इसलिए, सभी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है जो इसे साइबर खतरों के प्रति संवेदनशील बनाती है, इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए व्यक्तियों के लिए साइबर बीमा पॉलिसी होना आवश्यक हो जाता है.
किन खतरों से मिलती है सुरक्षा?
अगर आपकी आयु 18 वर्ष से अधिक है, तो आप साइबर बीमा पॉलिसी खरीदने के पात्र हैं. व्यक्तिगत साइबर बीमा के तहत कवरेज में पहचान की चोरी, सोशल मीडिया दायित्व, मैलवेयर हमले, फ़िशिंग, तीसरे पक्ष द्वारा डेटा उल्लंघन आदि शामिल हैं. यह कई मामलों में परामर्श सेवाओं को भी कवर करता
है, जहां पहचान की चोरी या डेटा के कारण पीड़ित को भावनात्मक झटका लगता है.