भारत में करोड़ों लोग हर साल बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट कराते हैं, क्योंकि यह निवेश का सुरक्षित माध्यम होने के साथ-साथ गारंटीड रिटर्न देता है. पिछले कुछ महीनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद बैंकों ने भी एफडी पर इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिया है इसलिए बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट को लेकर लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है. लेकिन, एफडी से जुड़े कुछ नियम ऐसे भी हैं जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए. सभी बैंकों में एफडी फॉर्मों में निर्देश और शर्तें के साथ समान होती है. इनमें “कोई भी या उत्तरजीवी” “संयुक्त रूप से”, “स्वयं”, “नाबालिग – अभिभावक द्वारा संचालित” आदि शामिल हैं.
बैंक में ज्यादातर जमाकर्ता ऑपरेटिंग दिशा-निर्देशों के रूप में Either or Survivor यानि “दोनों में से कोई एक या उत्तरजीवी” क्लॉज का पालन करते हैं. यह समझना कि एफडी के ज्वाइंट-होल्डर की मृत्यु होने पर, जीवित जॉइंट-होल्डर को FD की रकम मिलती है, इसे लेकर काफी कंफ्यूजन है.
नियमों की पेचीदगी से परेशानी
जब एफडी का जीवित संयुक्त धारक अन्य संयुक्त धारक की मौत के बाद समय से पहले एफडी वापस लेने के लिए बैंक से संपर्क करता है, तो उस वक्त समयपूर्व निकासी के लिए सभी संयुक्त-खाताधारकों के हस्ताक्षर की जरुरत होती है. ऐसे में यह एक बड़ी चुनौती हो सकता है जब संयुक्त-धारक अक्षम या मृत हो.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपने सर्कुलर (9 जून, 2005 की अधिसूचना) में दावेदार/कानूनी उत्तराधिकारी को नामांकन न होने पर भी FD राशि की वसूली करने में सक्षम बनाता है. आरबीआई, एफडी के मामले में नामांकन के महत्व पर अपने जागरूकता अभियान के माध्यम से उल्लेख करता है कि “संयुक्त जमा खाते के मामले में, नामांकित व्यक्ति का अधिकार सभी खाताधारकों की मृत्यु के बाद ही उत्पन्न होता है.” जीवित
संयुक्त-धारक या मृत जमा संयुक्त-धारक के नामिती को बैंक द्वारा भुगतान बैंक की देयता के वैध निर्वहन का प्रतिनिधित्व करता है.