टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर ने हाल ही में कहा है कि 10 साल की अवधि के दौरान वाहनों पर कर को घटाकर आधा करने के लिए एक रूपरेखा बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो भारतीय वाहन उद्योग वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा और इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.
किर्लोस्कर ने एक इंटरव्यू में कहा कि फिलहाल भारत वाहनों पर कर की दर में भारी कमी नहीं कर सकता है. इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस क्षेत्र के योगदान को देखते हुए उद्योग पर उपकर को कम करने की योजना पर विचार किया जा सकता है. अब देखना यह है कि क्या सर सरकार आगामी बजट में ऑटो उद्योग की इस मांग को ध्यान में रखकर कोई फैसला लेगी
30 से 50 प्रतिशत बढ़ जाती है कार की कीमत
किर्लोस्कर ने कहा कि वाहन उद्योग पर अत्यधिक कर लगाया जाता है. यदि हम किसी कार की कीमत को उसके उत्पादन और उसकी बिक्री के समय को देखते हैं, तो ज्यादातर मामलों में यह कारखाने के गेट पर कीमतों की तुलना में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य सभी करों को जोड़ने के बाद 30 से 50 प्रतिशत अधिक बैठती है.
रोजगार मिलेगा और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा
किर्लोस्कर ने आगे कहा, ‘‘हम एक उद्योग के रूप में बहुत प्रतिस्पर्धी हैं. मुझे लगता है कि दुनिया में लागत के लिहाज से, गुणवत्ता के लिहाज से, हम काफी प्रतिस्पर्धी बन गए हैं. इसलिए मुझे लगता है कि समय के साथ करों को कम करने की योजना से वास्तव में उद्योग को फायदा होगा.’’ उन्होंने कहा कि 10 साल की अवधि में, क्या आप इसे आधा कर सकते हैं… क्या वाहन उद्योग में कराधान को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना संभव है, ताकि इसे काफी बड़ा बनाया जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह घरेलू बाजार और निर्यात की दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकेगा. इससे बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.’’