तकनीक का असर अब किसानों पर भी पड़ रहा है. इसी वजह से राजस्थान के अलवर जिले के किसान इन दिनों आधुनिक खेती की ओर रूख कर लाखों रुपए कमा रहे हैं. दरअसल किसान अब संरक्षित खेती कर ग्रीन हाउस कल्चर को अपना रहे हैं.
बता दें कि कुछ साल पहले तक किसान पूरे दिन खेती बाड़ी में पचता रहता था और खेती की उपज से उन्हें फसल की लागत भी नहीं मिल पाती थी. वहीं, समय के साथ आई नई तकनीक ने किसानों की खेती के तौर तरीकों में बदलाव किया है. अलवर जिले के किसान अब ग्रीन ग्राउस जैसी तकनीक अपना संरक्षित खेती और बागवानी करने लगे हैं.
संरक्षित खेती की बहरोड़ के योगेश ने की शुरुआत
अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे के किसान योगेश आतरे ने वर्ष 2013 में संरक्षित खेती के नए युग की शुरुआत की. जबकि संरक्षित खेती की तकनीक किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हुई है. इस तकनीक से जिले के किसानों को मोटिवेशन मिला है. जबकि संरक्षित खेती में उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
किसानों को इसलिए भा रही संरक्षित खेती
अलवर जिले में भूजल के स्तर में लगातार कमी आ रही है. किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल पाना तो दूर पीने के लिए पूरा पानी भी नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसानों के लिए परम्परागत तकनीक से खेती करना घाटे का सौदा बनने लगा है. इस समस्या से उभरने के लिए किसानों ने संरक्षित खेती अपनाई. इस तकनीक की खेती कम पानी में अधिक क्षेत्र में की जा सकती है. उद्यान विभाग का मानना है कि संरक्षित खेती से किसानों को लाभ होगा. किसानों को इस तकनीक की खेती को करीब से जानने का मौका मिलेगा और वे इसे अपनाएंगे.
सरकार भी दे रही संरक्षित खेती को प्रोत्साहन
संरक्षित खेती को सरकार भी प्रोत्साहन दे रही है. उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को संरक्षित खेती के लिए 50 से लेकर 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है. किसानों को अनुदान देने का कारण है कि किसानों के पास खेती के लिए पूरा पैसा नहीं होता, सरकार की मदद किसानों को हौसला देती है. संरक्षित खेती के लिए अनुमोदित फर्म को सिर्फ कृषक राशि 25 या 40 प्रतिशत देना पड़ता है, बाकी अनुदान सीधा कंपनी में दे दिया जाता है. इससे किसान के ऊपर भार नहीं पड़ता है और कम पैसे मे संरक्षित खेती करना आसान हो जाता है.
उद्यान विभाग की चला रहा चार योजनाएं
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक लीलाराम जाट का कहना है कि विभाग की तरफ से 4 तरह की योजना चलाई जा रही हैं, जिसमें संरक्षित खेती, जल बचत योजना, सोलर व बागबानी योजना हैं. अलवर में संरक्षित खेती का रुझान बढ़ा हैं. 2011 से सरकार द्वारा 70 से 75 प्रतिशत अनुदान पर अलवर में ग्रीन हाउस लगाने की शुरुआत हुई. शुरुआती दिनों में 1 हजार वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस लगाए गए, लेकिन ये असफल रहे. इसके बाद विभाग द्वारा इसका दायरा 4 हजार वर्ग मीटर तक बढ़ा दिया, इससे अब सफलतापूर्वक ग्रीन हाउस चल रहे हैं. उद्यान विभाग के अनुसार, जिले मे अभी 40 से 45 ग्रीन हाउस चल रहे हैं. इसमें किसानों को करीब 7 से 8 लाख रुपये हर साल की बचत हो जाती है. विभाग की ओर से सोलर प्लांट भी लगवाये जा रहे हैं जिसमें सरकार की तरफ से 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है. अभी तक जिले में 1200 सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं. इससे किसानों को बिजली की समस्या से छुटकारा मिलेगाा. इसमें अभी और भी आवेदन विभाग को मिल रहे हैं.