कज़ाकस्तान के अस्ताना में कॉन्फ्रेंस ऑन इंट्रैक्शन एंड कॉन्फ्रेंस बिल्डिंग मेजर्स इन एशिया (CICA) समिट की शुरुआत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में अमेरिका पर सीधे निशाना साधते हुए अफगानिस्तान के पैसे को अनफ्रीज किए जाने की मांग की है. इसके साथ ही पुतिन ने काबुल में अमेरिकी कब्जे के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की मांग भी की है. पुतिन ने कहा कि दुनिया भर में अकाल का खतरा मंडरा रहा है, इसके साथ ही बड़े पैमाने पर सामाजिक उथलपुथल का संकट भी है, खासतौर पर गरीब देशों में ये चुनौती बड़ी है. रूस के राष्ट्रपति ने मांग करते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था में सप्लाई चेन को फिर से स्थापित करने के लिए सभी तरीके के आर्टिफिशियल बैरियर्स हटाए जाने चाहिए. पुतिन ने कहा कि रूस एक समान और अभाज्य सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल पॉलिटिक्स में गंभीर बदलाव हो रहे हैं. दुनिया मल्टीपोलर हो रही है और इसमें एशिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होने जा रही है.
बता दें कि इससे पहले 1 अक्टूबर को क्रेमिलन के नजदीक सेंट जॉर्ज हॉल में दिए अपने औपचारिक भाषण में भी पुतिन ने दुनिया को पश्चिम की औपनिवेशिक नीति, भारत और अफ्रीका में लूटपाट, दास व्यापार औैर अमेरिका द्वारा परमाणु एवं रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बारे में याद दिलाया था. इस दौरान पुतिन ने पश्चिमी देशों की नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था पर जोर को ‘अव्वल दर्जे का धोखा’ करार दिया और उनके ‘दोहरे मानक’ की निंदा की. उन्होंने यह भाषण यूक्रेन के बागी चार क्षेत्रों लुहांस्क, दोनेत्स्क, खोरसोन और जापोरिज्ज्या में कथित जनमत संग्रह के कई दिनों बाद दिया, जिसे यूक्रेन और पश्चिमी देश खारिज कर चुके हैं,
पुतिन ने कहा, ‘हम सब सुन रहे हैं कि पश्चिम नियम आधारित व्यवस्था पर जोर दे रहा है, हालांकि, यह कहां से आता है? किसी ने इन नियमों को कभी देखा है? किसने इनपर सहमति जताई है या मंजूरी दी है? सुनो, यह पूरी तरह से बकवास, धोखेबाजी और दोहरा मानक है, यहां तक कि तिहरा मानक है, वे समझते हैं कि हम बेवकूफ हैं,’
भारत-अफ्रीका का जिक्र कर साधा निशाना
क्रेमलिन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध भाषण के अंग्रेजी संस्करण के मुताबिक पुतिन ने कहा रूस और उसकी सभ्यता हजार साल से महान शक्ति है और यह अस्थायी, झूठे नियमों से नहीं बदलेगी, पुतिन ने कहा कि पश्चिमी कुलीन यहां तक सभी के प्रति अपने ऐतिहासिक अपराध के प्रति ग्लानि को लेकर रुख बदल रहे हैं और उन देशों और अन्य लोगों से मांग कर रहे हैं कि वे गलती स्वीकार करें जिससे उनका कोई लेना देना ही नहीं है, उदाहरण के लिए औपनिवेशिक काल में किए गए हमले,
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम को याद दिलाना सार्थक है कि उसने मध्यकाल में औपनिवेशिक नीति की शुरुआत की, जिसके बाद दास कारोबार किया, अमेरिका के मूल निवासियों (रेड इंडियन) का जनसंहार किया, भारत और अफ्रीका में लूट-पाट की… यह मानवीय प्रकृति, सच्चाई, स्वतंत्रता और न्याय के विपरित है.’