कैसा हो अगर भारत के लोगों को सस्ती दवाएं मिलें और उसी काम से हजारों लोगों को रोजगार भी मिल जाए. इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को हिमाचल के ऊना में मास्टर प्लान शेयर किया. उन्होंने आज हरोली में बल्क ड्रग पार्क (Bulk Drug Park) की आधारशिला रखते हुए सरकार का प्लान बताया. यह पार्क लगभग 3 साल में बनकर तैयार होगा.
बल्क ड्रग पार्क में दवाएं बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल, जिसे कि API कहा जाता है, को तैयार किया जाएगा. चूंकि, अभी भारत दवाओं की आपूर्ति हेतु कच्चे माल की जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर है, तो दवाएं महंगी होती हैं. यदि भारत अपनी जरूरत के लिए विदेशी कच्चे से माल से निर्भरता कम कर लेगा तो लागत में कमी आएगी.
इसने बड़े स्तर पर कच्चा माल और दवाओं के निर्माण करने के लिए मैनपावर की जरूरत भी होगी. ये जरूरत इस पार्क के आसपास के लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी. सरकार का अनुमान है कि 1405 एकड़ में बनने वाले इस पार्क पर लगभग 1900 करोड़ रुपये की लागत आएगी. 3 साल का समय लग सकता है. यहां पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आ सकता है. एक बार काम शुरू होने के बाद लगभग 23,000 लोगों को रोजगार मिलेगा.