लम्हा लम्हा जिंदगी गुजर जायेगी ।
पता नहीं कब मौत करीब आ जायेगी
कब तक भागते रहेंगे
उसको पाने की ख्वाहिस में
जिसको साथ लेकर जा नहीं सकते ।
उसके लिये सारा जीवन व्यतीत कर दिया ?
पर जो साथ जाने वाला है
उसके लिये नहीं कुछ पल भी पास है
यह कैसा लेखा जोखा और हिसाब है
इस दिवाली पर कुछ हिसाब इसका भी
कर लो क्योंकि अंत समय जब आयेगा
वह लम्हा सिर्फ पछतावा ही रह जायेगा
बीता लम्हा फिर वापस नहीं आयेगा
हर लम्हा जीना ऐसे
खुश रहना औरों को रखना
हंसी खुशी जिंदगी बिता देना
ताकि अंत समय जब आयेगा
वह लम्हा होगा यादगार
दिल में होगी संतुष्टि अपार
वरना यूँ ही लम्हा-लम्हा
जिंदगी गुजर जायेगी ।
साधना दुग्गड़