हाल ही में, डिजिटल लोन देने वालों कुछ संस्थानों की गलत प्रैक्टिस सामने आई है. लोन लेने वाले ग्राहकों की समस्याओं ने रिजर्व बैंक को इस संबंध में नए कानून बनाने के लिए प्रेरित किया है. इन नए नियमों का उद्देश्य ग्राहकों को डिजिटल लेंडिंग स्पेस में चल रहे मनमानी और खराब व्यवहार से बचाना है. डिजिटल लोन कंपनियों द्वारा बहुत ज्यादा ब्याज दर, अनैतिक और जबरदस्ती वसूली के तरीकों, हवाला लेन-देन और अन्य कई बुरी चीजों ने ग्राहकों को मुश्किल में डाल दिया है.
स्थिति इतनी खराब हो गई है कि बहुत सारे लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो गए. महंगे ब्याज दर की वजह से लोन लेने वाले ग्राहक शिकारी प्रवृत्ति के लेंडरों की जाल में फंस जा रहे हैं. ग्राहकों को ऐसे लोन में फंसने से पहले क्या-क्या पता होना चाहिए? आइए इस पर एक नजर डालते हैं.
अपने शुल्क जानें
छोटे कर्जदारों को अक्सर यह समझना मुश्किल हो जाता है कि पर्सनल लोन या डिजिटल लोन वाले किस-किस तरह के चार्ज लगाते हैं. आपके लोन में ब्याज के अलावा, आपके आवेदन के प्रोसेस, देर से भुगतान या दस्तावेजीकरण से संबंधित शुल्क भी हो सकते हैं. किसी भी लोन के साथ, उन सभी शुल्कों को ध्यान से समझने के लिए समय निकालें, जिनके लिए आप आवेदन कर रहे हैं.
आरबीआई ने इस जटिलता को नए नियमों के जरिए ठीक करने की कोशिश की है. इसमें कहा गया है कि सभी लोन देने वाले संस्थानों को ग्राहकों को सभी चार्ज जोड़ कर ये स्पष्ट बताना होगा कि सालाना ब्याज कितना लगेगा. यह जानकारी एक पेज में होनी चाहिए.