जुलाई महीने में खुदरा मंहगाई दर 6.71 फ़ीसदी पर रही जो पिछले 5 महीने का सबसे निम्न स्तर है. इससे सरकार को महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत मिली है. इन आंकड़ों को देखते हुए अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई की रेट सेटिंग मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) अपने आने वाली बैठकों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर कम आक्रामक रवैया अपना सकती है.
मनीकंट्रोल के पोल के करीब रही महंगाई आंकड़ा
बता दें कि महंगाई पर मनी कंट्रोल द्वारा कराए गए एक पोल से यह बात निकलकर आया था कि जुलाई में खुदरा महंगाई का आंकड़ा जून के 7.01 फ़ीसदी से घटकर 6.7 फ़ीसदी पर जा सकता है. वहीं, जुलाई में कोर महंगाई दर भी जून के 6 फ़ीसदी से घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई है. मनीकंट्रोल के पोल के अनुसार 5.8 फीसदी पर आने वाली कोर महंगाई दर सितंबर 2021 के बाद अपने निचले स्तर पर है. सितंबर 2021 में भी कोर महंगाई दर 5.8 फीसदी थी.
आरबीआई एमपीसी की अगली बैठक अब 30 सितंबर को होगी. आरबीआई के लिए महंगाई पर नियत्रंण बनाए रखना वर्तमान में उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है जिसके चलते आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता रहता है. आरबीआई ने अबतक लगातार 3 बार में अपने रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है
आरबीआई रेपो रेट में कर सकता है 25-50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी
महंगाई दर में गिरावट को लेकर इंडिया रेटिंग के इकोनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि, “महंगाई दर में गिरावट मॉनिटरी अथॉरिटी के लिए निश्चित तौर पर एक अच्छी खबर है. हालांकि बाकी बचे वित्त वर्ष के इकोनॉमिक आंकड़ों के आधार पर अभी ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की संभावना है. वर्तमान स्थितियों को देखने से लगता है कि वित्त वर्ष 2023 में आरबीआई अपनी रेपो रेट में 25-50 बेसिस प्वाइंट की और बढ़ोतरी कर सकता है.”
इक्रा (ICRA) की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि आरबीआई की सितंबर में रेपो रेट में होने वाली बढ़त 25 बेसिस प्वाइंट से भी कम की हो सकती है. उनका मानना है कि आरबीआई का कोई भी निर्णय महंगाई के आंकड़ों पर ही निर्भर करेगा.