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श्रीलंका ने चीन के ‘जासूसी’ जहाज को दी हंबनटोटा बंदरगाह पर एंट्री की इजाजत, भारत ने जताई थी चिंता

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श्रीलंका की सरकार ने पड़ोसी भारत की चिंताओं के बावजूद एक विवादास्पद चीनी जहाज को द्वीप पर आने की इजाजत दे दी. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. दरअसल, भारत ने चीनी पोत द्वारा श्रीलंकाई बंदरगाह पर पहुंचने के दौरान रास्ते में पड़ने वाले भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी किए जाने की आशंकाओं को लेकर चिंता जताई है.

चीन के बैलिस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह निगरानी पोत ‘युआन वांग 5’ को 11 अगस्त को ही हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचना था और ईंधन भरने के लिए 17 अगस्त तक वहीं रुकना था. बारह जुलाई को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीनी पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा करने की मंजूरी दे दी थी. हालांकि, भारत की आपत्ति के बाद आठ अगस्त को मंत्रालय ने कोलंबो स्थित चीनी दूतावास को पत्र लिखकर जहाज की प्रस्तावित डॉकिंग (रस्सियों के सहारे जहाज को बंदरगाह पर रोकना) को स्थगित करने का अनुरोध किया था.

हालांकि, अब श्रीलंका के बंदरगाह प्रमुख निर्मल पी. सिल्वा ने कहा कि उन्हें 16 से 22 अगस्त तक हंबनटोटा में जहाज को बुलाने के लिए विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है. सिल्वा ने एएफपी को बताया, ‘आज मुझे राजनयिक मंजूरी मिली. हम बंदरगाह पर रसद सुनिश्चित करने के लिए जहाज द्वारा नियुक्त स्थानीय एजेंट के साथ काम करेंगे.’ हंबनटोटा बंदरगाह को उसकी स्थिति के चलते रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जाता है. इस बंदरगाह का निर्माण मुख्यत: चीन से मिले ऋण की मदद से किया गया है.

भारत ने हिंद महासागर में चीन के सैन्य जहाजों के प्रवेश को लेकर हमेशा से ही कड़ा रुख अपनाया है. उसने अतीत में श्रीलंका के समक्ष इस तरह की यात्राओं को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है. साल 2014 में श्रीलंका द्वारा चीन की एक परमाणु पनडुब्बी को अपने बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दिए जाने के बाद नयी दिल्ली और कोलंबो के रिश्तों में दरार पड़ गई थी.

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