पैकेटबंद सामान एवं खाद्य उत्पादों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) टैक्स की चोरी को रोकने के लिए लगाया है. यह बात भारत सरकार के राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कही है. उन्होंने कहा, “इन उत्पादों पर कर की चोरी हो रही थी, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। कुछ राज्यों ने भी इसकी मांग की थी.”
उन्होंने कहा कि पैकेटबंद खाद्य उत्पादों पर 18 जुलाई से जीएसटी लगाने का फैसला केंद्र सरकार का नहीं बल्कि जीएसटी परिषद का है. जीएसटी दरों के बारे में सुझाव देने वाली ‘फिटमेंट समित’ ने इस बारे में निर्णय किया था जिसमें केंद्र के अलावा राज्यों के भी अधिकारी शामिल होते हैं. बजाज ने कहा कि राज्यों के मंत्रियों की भागीदारी वाले मंत्री समूह (जीओएम) ने भी इन उत्पादों पर जीएसटी लगाने की सिफारिश की थी जिसे जीएसटी परिषद ने भी स्वीकृति दे दी.
18 जुलाई को लगाया गया जीएसटी
पैकेटबंद खाद्य उत्पादों पर 18 जुलाई 2022 से पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगने लगा है. विपक्षी दल एवं अन्य समूह इसका विरोध करते हुए इसे आम आदमी के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं. इस पर राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी से जुड़े मामलों में फैसले के लिए जीएसटी परिषद सर्वोच्च निकाय है और इस समिति ने पैकेट वाले उत्पादों पर कर लगाने का फैसला आम सहमति से लिया था. जीएसटी समिति में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. बजाज ने कहा, “जीएसटी लागू होने से पहले इन आवश्यक वस्तुओं पर कर कई राज्यों में लगा हुआ था. इनसे राज्यों को राजस्व मिल रहा था. जुलाई, 2017 में जीएसटी प्रणाली आने के समय यह परिपाटी जारी रहने की परिकल्पना की गई थी.”
किन उत्पादों पर नहीं लगेगा जीएसटी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते एक लिस्ट शेयर करते हुए कहा कि लिस्ट में मौजूद 14 चीजों को यदि खुला (Loose) बेचा जाएगा, अर्थात बिना पैकिंग के बेचा जाएगा तो उन पर जीएसटी की कोई भी दर लागू नहीं होगी. इस लिस्ट में दाल, गेहूं, बाजरा, चावल, सूजी और दही/लस्सी जैसी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं. अनाज, चावल, आटा और दही जैसी चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह जीएसटी केवल उन्हीं उत्पादों पर लागू है जो प्री-पैक्ड और लेबल्ड हैं. बता दें कि पिछले महीने जीएसटी परिषद की 47वीं चंडीगढ़ में हुई बैठक में ये फैसले लिए गए थे.