भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, यदि कोई उपभोक्ता अपने खाते से 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं करता है, तो उस खाते में जमा रकम अनक्लेम्ड (Unclaimed) हो जाती है. जिस खाते से लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वह निष्क्रिय हो जाता है. अनक्लेम्ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और, रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है. अनक्लेम्ड राशि को रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में डाल दिया जाता है.
बैंकों में हर साल दावारहित राशि में बढ़ोतरी हो रही है. वित्त वर्ष 2021 में यह राशि 39,264 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष 2019 के अंत तक बैंकों में यह आंकड़ा 18,380 करोड़ रुपये था. सेविंग और करंट अकाउंट में अगर दो वर्ष तक ही लेनदेन न किया जाए तो यह अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है. इसी तरह एफडी और आरडी खाता में अगर मेच्योरिटी के दो साल बाद लेनदेन न किया जाए तो वह अनक्लेम्ड हो जाता है. जो अकाउंट आठ साल से निष्क्रिय होता है, उस अकाउंट में पड़ी राशि को डीईएएफ में भेज दिया जाता है.
क्यों बढ़ रही है अनक्लेम्ड राशि?
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन्हेरिटेंस नीड्स सर्विसेज के फाउंडर रजत दत्ता का कहना है कि अनक्लेम्ड राशि इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि बहुत से खाते लंबे समय से निष्क्रिय पड़े हैं. हर साल ऐसे खातों में से पैसा डीईएएफ में जाता है. किसी बैंक अकाउंट के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अकाउंट होल्डर की मौत होना, परिवार वालों को मृतक के अकाउंट के बारे में जानकारी न होना, गलत पता या फिर खाते में नॉमिनी दर्ज न होना.
कैसे करें क्लेम?
अगर किसी निष्क्रिय बैंक अकाउंट के डॉक्यूमेंट में किसी नॉमिनी का नाम दर्ज है तो नॉमिनी आसानी से अनक्लेम्ड राशि पर दावा कर सकता है. नॉमिनी को खाताधारक का मृत्यु प्रमाण-पत्र देना होगा. साथ ही उसे अपने केवाईसी डॉक्यूमेंट भी देने होंगे. अगर जॉइन्ट अकाउंट है तो बैंक जिस अकाउंट होल्डर की मौत हो चुकी है, उसका नाम काट देगा और जीवित अकाउंट होल्डर को सारे अधिकार दे देगा.